चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफल होने के बाद अब भारत सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना पहला अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल1 शनिवार की सुबह 11.50 बजे प्रक्षेपित करने के लिए तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार दोपहर 12.10 बजे 23 घंटे 40 मिनट की उलटी गिनती शुरू की। आईए जानते हैं सौर मिशन की मुख्य विशेषताएं…
4.6 करोड़ डॉलर :
केंद्र सरकार ने साल 2019 में स्वीकृत किया था, वास्तविक लागत का खुलासा होना बाकी
15 लाख किलोमीटर :
दूरी तय की जानी है। यह चंद्रमा से चार गुना ज्यादा दूर है। हालांकि, यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की 15.1 करोड़ किलोमीटर की दूरी का महज 1 फीसदी है
पीएसएलवी एक्सएल रॉकेट :
इस मिशन में प्रक्षेपण यान के तौर पर होगा इस्तेमाल। यह अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा। बाद में, ऑनबोर्ड प्रोपल्सन के जरिये अंतरिक्ष यान को बड़े ऑर्बिट (एल1) में स्थापित किया जाएगा। यह पीएसएलवी का 59वां मिशन होगा
लैग्रेंज प्वाइंट (एल1) :
सूर्य और पृथ्वी के बीच अंतरिक्ष में एक स्थिति है, जहां दो पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां आकर्षण और प्रतिकर्षण का एक बढ़ा हुआ क्षेत्र बनाती हैं इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है। लैग्रेंज प्वाइंट का नाम इतालवी खगोलशास्त्री जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है
चार महीने :
भारतीय मिशन को एल1 पर पहुंचने में
लगेगा वक्त
पार्कर सोलर प्रोब :
नासा का मिशन जो दिसंबर 2021 में सूर्य की सतह से 78 लाख किलोमीटर की दूरी तक पहुंच गया। यह अब तक किसी मानव अंतरिक्ष यान द्वारा सूर्य के सबसे करीब है
नासा के अलावा सौर ऑर्बिटर के माध्यम से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और चीन, जर्मनी, जापान तथा ब्रिटेन जैसे देशों ने कथित तौर पर अब तक सूर्य का अध्ययन करने के लिए मिशन आयोजित किया है
आदित्य एल1 के उद्देश्य
इन बातों पर सूर्य का अध्ययन
करने के लिए
1. कोरोनल हीटिंग और सौर
पवन की तेजी
2. सौर वायुमंडल की
गतिशीलता
3. सौर पवन वितरण एवं
तापमान एनिसोट्रॉपी
4. कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की शुरुआत, फ्लेयर्स और पृथ्वी के अंतरिक्ष का मौसम