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India Space Budget: अंतरिक्ष बजट में भारत दुनिया में 8वें स्थान पर, चंद्रयान-3 के बाद खर्च बढ़ाने पर फोकस

भारत ने अंतरिक्ष बजट में 2026 में 6,103 करोड़ रुपये खर्च तय किए और टेक्नॉलजी विकास पर 76% निवेश कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने का लक्ष्य रखा।

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जयंत पंकज   
Last Updated- August 22, 2025 | 11:01 PM IST

भारत 23 अगस्त को अपना तीसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है। इसी दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई थी, जिसने देश की व्यापक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था और इससे जुड़े बुनियादी ढांचे की ओर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। वर्ष 2024 में न केवल अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने, ब​ल्कि फ्रांस, रूस और इटली ने भी अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत से अधिक खर्च किया। इससे अंतरिक्ष पूंजीगत व्यय बजट के मामले में यह वैश्विक स्तर पर आठवें स्थान पर आ गया। 

इस क्षेत्र में भले ही भारत अभी पीछे हो, लेकिन उसके लिए इस अंतर को पाटते हुए इनमें से कुछ देशों की बराबरी करना असंभव काम नहीं है। उदाहरण के लिए भारत ने 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.05 प्रतिशत अंतरिक्ष क्षेत्र पर खर्च किया, जबकि अमेरिका ने 0.27 प्रतिशत, जापान ने 0.17 प्रतिशत और रूस ने 0.18 प्रतिशत धन अंतरिक्ष परियोजनाओं पर लगाया। जर्मनी 0.06 प्रतिशत के साथ थोड़ा ही आगे है, जबकि चीन, फ्रांस और इटली ने भारत की तुलना में अपनी अर्थव्यवस्था का लगभग दोगुना अनुपात अंतरिक्ष क्षेत्र पर व्यय किया। 

वित्त वर्ष 2017 में अंतरिक्ष अनुसंधान पर भारत का पूंजीगत व्यय 3,587 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2020 में बढ़कर 7,181 करोड़ रुपये हो गया। इसके बाद वित्त वर्ष 2023 में यह घटकर 4,253 करोड़ रुपये रह गया लेकिन वित्त वर्ष 2026 में दोबारा इसमें बढ़ोतरी हुई और यह व्यय 6,103 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) हो गया। वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2026 (बजट अनुमान) तक कुल अंतरिक्ष बजट में से अनुसंधान पर पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से 55 प्रतिशत के बीच रही।

इस मद में बजट का सबसे बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष टेक्नॉलजी के विकास के लिए है। वित्त वर्ष 2024 में 77 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 (संशो​धित) और वित्त वर्ष 2026 (बजट अनुमान) दोनों में ही यह 76 प्रतिशत है।

First Published : August 22, 2025 | 10:30 PM IST