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गर्मी बढ़ी तो राज्य चेते, मांगी ज्यादा बिजली

देश में लू के प्रकोप को देखते हुए राज्यों ने कुछ योजना बनाई है, लेकिन विशेषज्ञों ने आगाह किया कि यह पर्याप्त नहीं है

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श्रेया जय, संजीब मुखर्जी
Last Updated- April 19, 2023 | 11:27 PM IST

मंगलवार को देश भर में तापमान 40 डिग्री से​ल्सियस की सीमा को पार कर गया और इसके साथ ही बिजली की मांग (electricity demand) 216 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। देश भर में भीषण गर्मी की लहरों (heat waves) को देखते हुए राज्यों को जमीनी स्तर पर प्रबंधन के स्तर को बढ़ाना पड़ा है लेकिन कई राज्यों में बढ़ती गर्मी को देखते हुए कोई योजना नहीं बन पाई है जबकि कुछ ऐसी योजना की तैयारी कर रही हैं।

केंद्र और राज्य दोनों ही भीषण गर्मी के विभिन्न प्रभावों से निपटने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं जिसमें बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने से लेकर फसल और कृषि उपजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने, नागरिक जरूरतों को पूरा करने और मौसम के अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने जैसी चीजें शामिल हैं।

बिजली की मांग बढ़ी

बिजली की अधिकतम मांग मंगलवार को 215 गीगावॉट (GW) के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। बिजली की खपत के मोर्चे पर भारत को उसी दिन 483.6 करोड़ यूनिट की उच्च स्तर की ऊर्जा मांग पूरी करनी पड़ी जो पिछले साल की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल के पहले पखवाड़े में ही ऊर्जा की मांग में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कूलिंग देने वाले उपकरणों के इस्तेमाल में आ रही तेजी के संकेत हैं।

लेकिन अब केवल उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे बड़े राज्यों की तरफ से ही बिजली की मांग नहीं बढ़ रही है बल्कि भीषण गर्मी ने देश के पूर्वी क्षेत्र पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दक्षिणी राज्यों को भी रिकॉर्ड स्तर पर बिजली की ज्यादा मांग करने के लिए मजबूर किया है।

ग्रिड इंडिया (पहले POSOCO) के अधिकारियों ने कहा कि अप्रैल एक महत्त्वपूर्ण महीना है क्योंकि फिलहाल ताप ऊर्जा के अलावा कोई अन्य ऊर्जा स्रोत नहीं है जिसका मुख्य स्रोत कोयला (Coal) है। एक अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र सरकार अप्रैल की मांग को लेकर आशंकित थी लेकिन इसका प्रबंधन अच्छी तरह से किया जा रहा है।

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मंगलवार को ग्रिड ने बिना किसी अड़चन के अब तक की सबसे अधिक बिजली की मांग का प्रबंधन कर लिया। तंत्र में पर्याप्त बिजली और कोयला है। अब गैस भी चल रही है। देश के उत्तरी क्षेत्र कुछ दिनों में ठंडे दिन होंगे तब मांग में कुछ कमी आ सकती है।’

मई और जून में, जल विद्युत (hydro power) और पवन ऊर्जा (wind energy) की भी आपूर्ति शुरू हो जाएगी जिससे ग्रिड इंडिया (Grid India) को उम्मीद है कि ताप ऊर्जा (heat energy) का भार कुछ कम हो जाएगा और बिजली की आपूर्ति में अधिकता का स्तर बना रहेगा। आने वाले दो महीनों में बिजली की मांग 230 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है।

बढ़ती समस्याएं

कुछ राज्यों ने भीषण गर्मी को देखते हुए कदम उठाने के लिए सक्रियता से अपनी योजना बनानी शुरू कर दी है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह मौजूदा स्तर पर तापमान की तीव्रता से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है।

हाल ही में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (Centre for Policy Research) ने एक शोध आकलन किया जिसमें पाया गया है कि गर्मी को देखते हुए सक्रिय कार्रवाई वाली योजना अपर्याप्त है और इसमें कोई पारदर्शिता भी नहीं है।

गर्मी से बचाव के लिए कदम उठाए जाने वाली योजनाओं के तहत मानक संचालन नियमों (SOP) की एक सूची दी गई है जिसे राज्य/ शहर/ नगर निकाय को गर्मी से संबंधित प्रभावों से निपटने के लिए पालन करने की आवश्यकता होगी।

हालांकि सभी राज्य लू और भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए कोई विशेष कार्रवाई करने वाली योजना (HAP) नहीं बना रहे हैं विशेष रूप से उनमें दिल्ली का नाम भी शामिल है।

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आकलन रिपोर्ट में करीब 37 HAP को कवर किया गया है। HAP के तहत सूचना प्रसार रणनीतियों का इस्तेमाल जनता को सतर्क करने के लिए किया जाता है, लेकिन विश्वसनीयता और जोखिम आकलन के अभाव में यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि क्या ये प्रयास उन लोगों तक पहुंच सकते हैं जिनके सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना (विशेष रूप से बड़े शहरों और राज्यों में जहां लाखों लोग रहते हैं) है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘गर्मी से निपटने की किसी भी कार्रवाई योजना में व्यवस्थित तरीके से सभी सूचीबद्ध कदमों में नीति एकीकरण की समीक्षा नहीं की। कृषि, जल, आवास, बुनियादी ढांचे और शहरी डिजाइन से जुड़े कई कार्यों को उपयोगी तरीके से मौजूदा नीतियों से जोड़ा जा सकता है ताकि क्षमता और वित्त की संभावनाओं पर बात की जा सके।’

अत्यधिक गर्मी के कारण एक और संकट उभर रहा है और यह संकट कृषि और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के खतरे से जुड़ा है। एक डिजिटल कृषि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन कंपनी एग्रीजे के सह संस्थापक साकेत चिरानिया का कहना है, ‘तापमान बढ़ने के कारण फसलें बरबाद हो रही हैं। ऐसे में कच्चे माल और फसलों की कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कीमतें बढ़ेंगी और सप्लाई चेन बाधित हो सकती है। इसके अलावा, उच्च तापमान फलों, सब्जियों और डेरी उत्पादों जैसे उत्पादों की गुणवत्ता भी घट सकती है और वे जल्द खराब हो सकते हैं।’

चिरानिया ने कहा कि कोल्ड स्टोरेज, तापमान-नियंत्रित परिवहन और उन्नत पूर्वानुमान मॉडल जैसी तकनीक में निवेश कच्चे माल और तैयार उत्पादों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है।

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लू क्या होती है?

लू असामान्य रूप से उच्च तापमान का दौर है जो भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में गर्मियों के मौसम के दौरान होने वाले सामान्य अधिकतम तापमान से कहीं ज्यादा है। गर्मी का ताप आमतौर पर मार्च और जून के बीच महसूस किया जाता है और कुछ मामलों में जुलाई तक भी बढ़ी हुई गर्मी महसूस होती है।

अत्यधिक तापमान और इसके परिणामस्वरूप वायुमंडलीय स्थितियों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे शारीरिक तनाव भी होता है और कभी-कभी लोगों की मौत भी हो जाती है।

हर गुजरते साल इसमें लगातार तेजी क्यों आ रही है?

भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव महसूस किए जा रहे हैं और हर गुजरते साल के साथ बढ़ती गर्मी इसका संकेत दे रही है कि मानव स्वास्थ्य पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है जिसके चलते लू से मरने वालों की संख्या बढ़ जाती है।

यह भारत के लिए कितना हानिकारक है?

क्लाइमेट वल्नरबिलिटी इंडेक्स के साथ हीट इंडेक्स के विश्लेषणात्मक आकलन करने पर अंदाजा होता है कि देश का 90 फीसदी से अधिक हिस्सा जोखिम के स्तर पर पहुंच चुका है और इससे अनुकूल आजीविका क्षमता, खाद्यान्न की पैदावार, बीमारियों का प्रसार और शहरी स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

First Published : April 19, 2023 | 11:27 PM IST