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डीपफेक को रोकने के लिए सरकार नियम लाने की तैयारी में

इन नियमों से डीपफेक बनाने और उसे प्रदर्शित करने वाले दोनों पर जुर्माना लगाया जा सकेगा।

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शिवानी शिंदे   
Last Updated- November 23, 2023 | 10:20 PM IST

केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डीपफेक को समाज और लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने इससे निपटने के लिए गुरुवार को कहा कि सरकार इस बारे में नियम लाने की तैयारी कर रही है, जिससे ‘डीपफेक’ बनाने और उसे प्रदर्शित करने वाले मंच दोनों पर जुर्माना लगाया जा सकेगा।

सोशल मीडिया मंच, नैसकॉम और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र के अन्य प्रोफेसर सहित विभिन्न हितधारकों के साथ बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर चार स्तंभों, डीपफेक का पता लगाने, ऐसी सामग्री के प्रसार को रोकने, इसकी सूचना देने के तंत्र को मजबूत करने और मुद्दे पर जागरूकता फैलाने पर कार्रवाई योग्य कदम उठाएगी।

हम नियम बनाने का काम अभी से शुरू कर रहे हैं और शीघ्र ही इन्हें लागू किया जाएगा। ये मौजूदा नियमों में संशोधन, नए नियम या नए कानून के रूप में भी हो सकते हैं।

वैष्णव ने कहा कि बैठक में मौजूद सभी हितधारकों ने डीपफेक के संबंध में समान चिंताएं जाहिर की हैं। उन्होंने माना कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। यह ऐसा कुछ है तो समाज के लिए बहुत हानिकारक है। इस पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने ठोस और कड़े उपाय करने की जरूरत पर बल दिया। मंत्री ने कहा कि हम आज से ही इस दिशा में काम शुरू कर रहे हैं।

वैष्णव ने गत शनिवार को भी आगाह किया था कि अगर सोशल मीडिया मंच डीपफेक को हटाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाते हैं, तो उन्हें आईटी अधिनियम के तहत वर्तमान में जो सुरक्षित हार्बर प्रतिरक्षा मिली है, वह नहीं दी जाएगी।

गुरुवार को हितधारकों के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा कि डीपफेक वीडियो निर्माताओं ने लेबलिंग और वॉटरमार्क का भी तोड़ निकाल लिया है।

इसलिए कुछ ऐसा रास्ता निकालने की जरूरत है, ताकि इससे निपटा जा सके। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी सोशल मीडिया मंच डीपफेक का पता लगाने के लिए व्यापक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने पर सहमत हुए हैं। भारत में 80 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनके दो वर्षों में 120 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।

डीपफेक में एआई का इस्तेमाल करते हुए किसी तस्वीर या वीडियो में मौजूद व्यक्ति की जगह किसी दूसरे को दिखा दिया जाता है। इसमें इतनी समानता होती है कि असली और नकली में अंतर करना काफी मुश्किल होता है। पिछले कुछ हफ्तों में बॉलीवुड के कई कलाकारों एवं प्रमुख राजनेताओं को निशाना बनाने वाले डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया मंच पर प्रसारित हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जी20 देशों के वर्चुअल समिट के दौरान इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की थी और कहा था कि डीपफेक जैसी तकनीक का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि दुनिया डीपफेक के नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंतित है। भारत का मानना है कि एआई के लिए वैश्विक नियम बनाने को हमें मिलकर काम करना होगा। हम चाहते हैं कि यह समाज के लिए सुरक्षित टूल के रूप में काम करे।

First Published : November 23, 2023 | 10:20 PM IST