अयोध्या में राम मंदिर की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। 22 जनवरी को दोपहर 12.20 बजे रामलला की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इस बीच, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए मंदिर की 20 विशेषताओं का जिक्र किया और 20 पॉइंट में यह बताया कि किस जगह पर किस चीज का निर्माण किया जा रहा है। ट्रस्ट ने इसे शेयर करते हुए कई फोटो और वीडियो शेयर किए हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि यह राम मंदिर परम्परागत नागर शैली (traditional Nagar style) में बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
इसने आगे लिखा कि अयोध्या का यह मंदिर तीन मंजिला रहेगा। हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। खंभों और दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं और मंदिर में एंट्री पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगी। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
ट्रस्ट ने कहा कि मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) और फर्स्ट फ्लोर पर श्रीराम दरबार होगा। मंदिर में 5 मंडप होंगे जिसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप शामिल हैं।
राम मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा (rectangular compound wall) रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
ट्रस्ट ने सीताकूप बनाने का भी जिक्र किया। उसने कहा कि मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप भी बना होगा। इसके अलावा मंदिर परिसर में कई और अन्य मंदिर भी होंगे, जिसमें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या के मंदिर शामिल हैं।
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और वहां जटायु की मूर्ति की स्थापना भी की गई है।
ट्रस्ट ने यह भी बताया कि मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। इसके नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है और इसे ऑर्टिफिशियल चट्टान का रूप दिया गया है।
ट्रस्ट ने पोस्ट एक औऱ पोस्ट शेयर करते हुए बताया कि दर्शनार्थी भगवान राम औऱ उनके सभी भाइयों का भी दर्शन कर सकेंगे। इसके साथ ही इसने मूर्तियों की फोटो साझा की।
मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बाहर की सुविधाओं पर निर्भर न होना पड़े, इसके लिए 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) भी बनाया जा रहा है। इसमें दर्शनार्थी अपना सामान लॉकर में रख सकेंगे। यहां पर उनके स्वास्थ्य को लेकर भी इलाज की सुविधा दी गई है।
मंदिर के अंदर ही सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, आग बुझाने के लिए जल व्यवस्था और बिजली सप्लाई के लिए पॉवर स्टेशन भी बनाया गया है। मंदिर परिसर में ही स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। ट्रस्ट ने कहा कि यह सब करने का उद्देशय बाहरी संसाधनों पर निर्भरता को कम करना है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा, ‘मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारतीय परम्परा के मुताबिक और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।’
गौरतलब है कि प्राण- प्रतिष्ठा समारोह के लिए एक लाख से ज्यादा भक्तों के अयोध्या आने की उम्मीद है। प्राण-प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सहित पांच लोग मंदिर के गर्भगृह में मौजूद रहेंगे। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत और मुख्य आचार्य भी शामिल रहेंगे। इसमें भारत और विदेश से 7,000 से अधिक मेहमानों के शामिल होने की संभावना है। प्राण प्रतिष्ठा में फेमस क्रिकेटर, मशहूर हस्तियां, उद्योगपति, संत और कई देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।