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कोयले का बढ़ा प्रोडक्शन, मगर बिजली सप्लाई हुई कम; मांग बढ़ने से प्रमुख राज्यों में गहराया संकट

राष्ट्रीय स्तर पर देश की कुल बिजली आपूर्ति में पनबिजली की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है, जहां से कोयला के बाद सबसे ज्यादा बिजली आती है

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श्रेया जय   
Last Updated- September 03, 2023 | 10:58 PM IST

देश में बिजली की मांग हर दिन नए रिकॉर्ड पर पहुंच रही है। ऐसे में कुछ राज्यों में आपूर्ति में कमी की स्थिति गंभीर हो गई है। कोयला व पनबिजली इकाइयां अपनी क्षमता के रिकॉर्ड स्तर पर चल रही हैं और कोयले के उत्पादन में दो अंकों की वृद्धि हुई है, इसके बावजूद बिजली आपूर्ति में कमी बनी हुई है।

प्रमुख औद्योगिक राज्य जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात में गर्मी के कारण मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और वे आपूर्ति की कमी से जूझ रहे हैं। राजस्थान, हरियाणा, बिहार जैसे राज्यों में सामान्यतया आपूर्ति में कमी अधिक रहती है, वहां बिजली की कमी पिछले साल से बहुत ज्यादा बढ़ी हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 1 सितंबर को आपूर्ति में कमी सबसे ज्यादा 10 गीगावॉट रही, जब देश में बिजली की मांग ऐतिहासिक उच्च स्तर 240 गीगावॉट पहुंच गई थी।

यह ऐसे समय में हो रहा है, जब कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र अपनी उच्च क्षमता पर चल रहे हैं और पनिबजली इकाइयां भी अपनी पूरी क्षमता से चल रही हैं। सरकारी पनबिजली ऑपरेटर एसजेवीएन ने हाल में अब तक के सर्वाधिक बिजली उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया है। कंपनी ने अपने ताजा बयान में कहा है, ‘अगस्त 2023 में सभी बिजली स्टेशनों से बिजली का उत्पादन 159 करोड़ यूनिट के सर्वाधिक मासिक उत्पादन के रिकॉर्ड पर पहुंच गया, जो पिछले साल से 9 प्रतिशत अधिक है।’

राष्ट्रीय स्तर पर देश की कुल बिजली आपूर्ति में पनबिजली की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है, जहां से कोयला के बाद सबसे ज्यादा बिजली आती है। कुल आपूर्ति में कोयले से उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है, जबकि अक्षय ऊर्जा (सौर, पवन और बायोमास) की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है।

अगस्त में सरकार की कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के उत्पादन और लदान दोनों में दो अंकों की वृद्धि हुई है। शुष्क मौसम के कारण कोयले की आपूर्ति अगस्त में बाधारहित बनी रही, जबकि सामान्यतया इस महीने में गिरावट आती है। कोयला मंत्रालय ने हाल में एक बयान में कहा, ‘अगस्त 2023 में कुल मिलाकर कोयले के उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और यह 676.5 लाख टन पहुंच गया है। कोयले के उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि की तुलना मं 12.85 प्रतिशत वृद्धि हुई है।’

ग्रिड स्तर पर चुनौतियां

विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्रिड का प्रबंधन बेहतर है, वहीं राज्यों के कमजोर पारेषण नेटवर्क और कम क्षमता की वजह से समस्या हो रही है। इसकी वजह से अतिरिक्त बिजली खरीद नहीं हो पाती। नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के पूर्व वाइस प्रेसीडेंट राजीव गोयल ने कहा कि भारत के ग्रिड 255 गीगावॉट से ज्यादा की क्षमता है। इस समय विवानी कंसल्टिंग के अध्यक्ष के पद पर काम कर रहे गोयल ने कहा, ‘भारत में बिजली की मांग 240 गीगावॉट पर पहुंच गई है, जिससे जीडीपी में वृद्धि और इससे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, कूलिंग, डेटा सेंटर जैसे नए क्षेत्रों, औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने, पर्यटन पटरी पर आने और शहरी आमदनी बढ़ने से मांग के दबाव का पता चलता है।’

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपने हाल के एक नोट में कहा कि बिजली की मांग में सामान्य 16 प्रतिशत और अधिकतम 22 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। इसमें कहा गया है कि रोजाना की मांग भी 5.2 अरब यूनिट या 216 गीगावॉट के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपने हाल के नोट में कहा, ‘मांग मजबूत रहना मौजूदा ताप बिजली संयंत्रों के लिएअच्छा संकेत है। साथ ही यह अधिकतम मांग पूरी करने में आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डालता है, क्योंकि अब हम ऐसे चरण में पहुंच रहे हैं, जब क्षमता में वृद्धि कम होने वाली है।’

गोयल ने कहा कि बिजली क्षेत्र के योजनाकारों को अब बिजली की मांग में 8 से 10 प्रतिशत वृद्धि के मुताबिक आगे की योजना बनानी होगी। उन्होंने कहा कि पॉवर ग्रि़ड कॉर्पोरेशन आफ इंडिया की कुल ट्रांसफर क्षमता (टीटीसी) 112 गीगावॉट है और यह 2030 तक बढ़कर 150 गीगावॉट होने की उम्मीद है। टीटीसी वह अधिकतम बिजली होती है, जिसे इंटरकनेक्टेड ट्रांसमिशन नेटवर्क में ट्रांसफर किया जा सकता है। गोयल ने कहा, ‘जब राज्य सरकारें अपनी बिजली वितरण कंपनियों के ज्यादा लोड वाले इलाके में आपूर्ति के लिए ज्यादा 220 केवी/130 केवी के सबस्टेशन बनाएंगी, तब टीटीसी में सुधार होगा।

First Published : September 3, 2023 | 10:57 PM IST