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नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट से शुरू होंगी किफायती उड़ानें! IGI Airport ने कही ये बात

विमानन क्षेत्र का विश्लेषण करने वाली कंपनी सीरियम के अनुसार मौजूदा समय में आईजीआई एयरपोर्ट हर हफ्ते 8,554 उड़ानों का संचालन करता है।

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दीपक पटेल   
Last Updated- February 16, 2024 | 11:49 PM IST

आने वाले समय में कम लागत वाली एयरलाइंस का परिचालन नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट और गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से कराने पर विचार किया जा रहा है। देश के सबसे बड़े इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) का कहना है कि यदि किफायती एयरलाइंस एनसीआर के दोनों एयरपोर्ट पर स्थानांतरित हो जाती हैं तो इससे उसे बड़े स्तर पर कारोबार करने और पूर्ण सेवाएं देने वाली एयरलाइंस की उड़ानों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।

विमानन क्षेत्र का विश्लेषण करने वाली कंपनी सीरियम के अनुसार मौजूदा समय में आईजीआई एयरपोर्ट हर हफ्ते 8,554 उड़ानों का संचालन करता है। इनमें इंडिगो जैसी किफायती एयरलाइन भी शामिल है, जिसकी कुल उड़ानों में हिस्सेदारी लगभग 38.5 प्रतिशत है। नोएडा एयरपोर्ट दिल्ली एयरपोर्ट से लगभग 70 किलोमीटर दूर जेवर में निर्माणाधीन है, जिस पर इस साल के अंत में परिचालन शुरू होने की संभावना है।

जीएमआर एयरपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर (फाइनैंस ऐंड स्ट्रैटजी) सौरभ चावला ने बीते 1 फरवरी को निवेशकों के साथ बैठक में कहा, ‘जेवर एयरपोर्ट शुरू होने पर पहले वहां माल ढुलाई वाली उड़ानों और किफायती एयरलाइंस के परिचालन को प्राथमिकता दी जाएगी। इसलिए प्रत्येक यात्री से मिलने वाले लाभ को ध्यान में रखते हुए हम कम लागत वाले हवाई यातायात को जेवर, हिंडन या अन्य क्षेत्रीय एयरपोर्ट पर स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।’

चावला ने यह भी कहा, ‘हमारी रणनीति घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च लाभ वाली एयरलाइंस का परिचालन अधिक से अधिक बढ़ाने पर ध्यान देना है।’

आईजीआई एयरपोर्ट का संचालन जीएमआर समूह की कंपनी दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के हाथ में है, जबकि नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण ज्यूरिख एयरपोर्ट के स्वामित्व वाली यमुना इंटनैशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लि. (वाईआईएपीएल) द्वारा किया जा रहा है। हिंडन एयरपोर्ट का संचालन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। यहां से फिलहाल स्टार एयर जैसी कुछ क्षेत्रीय एयरलाइंस उड़ानें संचालित कर रही हैं।

इस मामले में डायल, वाईआईएपीएल, इंडिगो, एयर इंडिया, एआईएक्स कनेक्ट, स्पाइस जेट, विस्तारा और अकासा एयर से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन इनमें से किसी ने भी बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया।

फुल सर्विस एयरलाइंस मुख्यत: बी777 और ए350 जैसे बड़े विमानों का परिचालन करती हैं। उच्च लैंडिंग फीस और अन्य शुल्क मिलाकर इन एयरलाइंस से एयरपोर्ट को अधिक आमदनी होती है। इसके अतिरिक्त उच्च गुणवत्ता वाले रिटेल, लाउंज और आधुनिक सुविधाओं जैसी सेवाओं के कारण प्रति यात्री अधिक लाभ कमाती हैं। पिछले महीने विमानन परामर्शदाता फर्म कापा इंडिया ने कहा कि एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर वैट शुलक में भिन्नता के कारण दिल्ली और नोएडा के हवाईअड्डों में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है।

दिल्ली एयरपोर्ट का घरेलू उड़ानों के लिए वैट 25 प्रतिशत है, जबकि नोएडा एयरपोर्ट पर यह मात्र 4 प्रतिशत ही होगा। भारत में एयरलाइंस परिचालन की कुल लागत का 40 प्रतिशत खर्च केवल एटीएफ पर होता है। लेकिन चावला इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी एयरपोर्ट की सफलता केवल एटीएफ पर वैट में भिन्नता पर निर्भर नहीं होती है।

First Published : February 16, 2024 | 11:24 PM IST