हो पांच लाख तो आपके लिए खास

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:56 PM IST

भारत में फंड ऑफ फंड्स (एफ ओ एफ) कई कारणों से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। इसका प्रमुख कारण कराधान है।


 यही वजह है कि इक्विटी के वर्ग में शामिल होते हुए भी इसे डेट फंड्स के रूप में देखा जाता है।


फंड ऑफ फंड्स की सूची में ऑप्टिमिक्स की ओर से अन्य उत्पाद लॉन्च किए गए हैं, जो बजाज कैपिटल के बड़े निवेशकों के लिए है। इसे माईरैप अकाउंट के नाम से जाना जाता है।इसमें निवेश करने की शर्त भी है। शर्त के तहत इसमें कम से कम 5 लाख रुपये का निवेश जरूरी होता है।


यह निवेश कई जगहों में किया जा सकता है। जिनमें रियल एस्टेट, भारतीय इक्विटी, अंतरराष्ट्रीय इक्विटी, कमोडिटी व अन्य उत्पाद शामिल हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि निवेशक को अपनी राशि निवेश करने की पूरी आजादी होती है और कम से कम चार विकल्प उसके पास होते हैं। इनमें वृद्धि, उच्च पूंजीगत वृद्धि, कुल इक्विटी और लिक्विडिटी प्लस शामिल हैं।सभी विकल्पों का मकसद यह है कि निवेश के लिए आपको अलग-अलग नहीं सोचना होगा, बल्कि एक चेक के जरिए ही आप सभी में निवेश कर सकते हैं।


इसके जरिए कैसे करें निवेश


ऑप्टिमिक्स के पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना के प्रशांत नारायण का कहना है कि पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना (पीएमएस) के तहत आप म्युचुअल फंड में विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश कर सकते हैं, जिसका प्रबंधन ऑप्टिमिक्स के जरिए किया जाता है।


अगर कोई निवेशक पूंजीगत वृद्धि का विकल्प चुनता है, तो उसके द्वारा निवेश की गई राशि को भातीय इक्विटी, अंतरराष्ट्रीय इक्विटी, कमोडिटी, भारतीय डेट, ढांचागत योजनाओं और रियल एस्टेट में निवेश किया जाता है। हालांकि ऐसा निवेश म्युचुअल फंड के जरिए ही संभव हो पाता है।


अगर पीएमएस भारतीय इक्विटी में ही निवेश का इरादा रखता है, तो इक्विटी फंड का विकल्प चुनना बेहतर होगा। इस योजना के तहत सीधे भारतीय व विदेशी शेयर बाजार में निवेश नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही इक्विटी व डेट में निवेश के बारे में रणनीति का पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। दरअसल, इससे यह पता नहीं चल पर रहा है कि इक्विटी फंड में निवेश किया जाएगा या फिर क्षेत्रवार फंडों में।


योजना की खासियत


  एकबारगी निवेश के जरिए विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश की सुविधा। इससे कागजी कार्रवाई से राहत मिलती है, वहीं निवेश प्रक्रिया कुछ आसान हो जाती है।
  इसके तहत किसी भी योजना में निवेश करने पर समान रूप से कर देना होगा, जबकि फंड ऑफ फंड्स में इसकी सुविधा नहीं है।
  18 महीने के बाद निर्गम शुल्क नहीं लिया जाता है, जबकि पहले 18 महीने के लिए 0.5 से 1.5 फीसदी की दर से यह शुल्क वसूला जाता है। हां, प्रबंधन शुल्क के तौर   पर 1.6 फीसदी, जबकि अतिरिक्त खर्चों के लिए 2 फीसदी की दर से शुल्क वसूला जाता है।


योजना की खामियां


 बहुत से निवेशक अपनी जरूरत के मुताबिक, विभिन्न योजनाओं को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहते हैं, जबकि इस योजना के तहत केवल चार विकल्प ही उपलब्ध  कराए गए हैं।
 कमोडिटी फंड और रियल एस्टेट फंडों में निवेश के लिए सीमित विकल्प उपलब्ध हैं। रियल एस्टेट की बात करें, तो केवल आईएनजी ग्लोबल रियल एस्टेट फंड में ही  निवेश की सुविधा है। ऐसे में अगर निवेशक को और भी विकल्प उपलब्ध कराए जाएं, तो वे इस योजना के तहत निवेश करने को उत्सुक होंगे।
 लिक्विड प्लस विकल्प भी इस योजना की एक खासियत है। अगर आप लिक्विड प्लस विकल्प का चयन करते हैं, तो निवेश की गई कुल राशि का 90 फीसदी भारतीय  डेट फंडों में निवेश किया जाता है। इसके साथ ही 1.6 फीसदी की दर से प्रबंधन शुल्क वसूला जाता है, जो समझ से परे है।
 इसमें प्रत्यक्ष निवेश की कोई सुविधा नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि शेयर बाजार या ऐसी अन्य परिसंपत्तियों में सीधे निवेश नहीं किया जा सकता है। इसके साथ  ही पोर्टफोलियो की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। पिछले छह महीने से साल भर के दौरान अगर ऑप्टिमिक्स की इस योजना के तहत निवेश को देखें तो उसे   उल्लेखनीय नहीं कहा जा सकता  है।


नेट-नेट


अगर आप इसे अपनी परिसंपत्ति आवंटन का हिस्सा बनाना चाहते है, यह विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में से एक हो सकता है, तभी आपको इस ओर नजर दौड़ानी चाहिए। जब तब ऑप्टिमिक्स का प्रदर्शन जारी है, तभी तक यह फायदेमंद है, बाद में यह इतना प्रेरणादायी नहीं दिखता (अन्य फंडों से तुलना देखिए), निवेशक इस निवेश के बारे में तभी सोच सकते हैं, जब आपका पोर्टफोलियो सही स्थिति में हो।


लेखक माईफाइनैंशियल एडवाइजर के निदेशक हैं।

First Published : March 23, 2008 | 11:26 PM IST