जनवरी से नवंबर 2024 के बीच भारत में उद्यम पूंजी (वीसी) क्षेत्र की गतिविधियों के तहत 888 सौदों में कुल 16.77 अरब डॉलर का मूल्य दर्ज किया गया। इसमें मूल्य के लिहाज से 14.1 प्रतिशत और सौदों की संख्या में 21.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ। साल 2023 की इसी अवधि के दौरान 729 सौदों में 14.69 अरब डॉलर का मूल्य दर्ज किया गया। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
वीसी फंडिंग में 6.5 अरब डॉलर के साथ प्रौद्योगिकी क्षेत्र की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रही। यह पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 52.5 प्रतिशत अधिक है। उपभोक्ता वैकल्पिक खर्च के क्षेत्र में 32.2 प्रतिशत वृद्धि के साथ 2.3 अरब डॉलर की हिस्सेदारी रही जबकि वित्तीय क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2.2 अरब डॉलर का निवेश हुआ।
बड़े सौदों में 1.3 अरब डॉलर के साथ किरानाकार्ट टेक्नोलॉजीज (जेप्टो), 50 करोड़ डॉलर के साथ पूलसाइड एआई सास और 28.9 करोड़ डॉलर के साथ स्टरलाइट पावर ट्रांसमिशन के सौदे शामिल हैं। इस वर्ष फंडिंग में सुधार के संकेत मिले हैं। उद्योग जगत के प्रमुखों को उम्मीद है कि साल 2025 में भी यह रफ्तार बरकरार रहेगी।
यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक भास्कर मजूमदार को मौजूदा रुझान जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि और ज्यादा कंपनियां आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की दिशा में बढ़ रही हैं और फंडिंग के बाद के चरण वाले दौर की गतिविधि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे फंडों के पास निवेश की रकम बची पड़ी है और अब वे उसे जारी करने लगे हैं।
साल 2023 और 2024 दोनों ही चुनौतीपूर्ण साल रहे और वैश्विक स्तर पर उद्यम पूंजी निवेश में गिरावट आई क्योंकि एलपी (सीमित साझेदारों) ने परिसंपत्ति वर्ग में कम दिलचस्पी दिखाई। मजूमदार ने कहा कि यह प्रवृत्ति अब उलटने लगी है तथा ‘सही’ सौदों के लिए अधिक अनुकूल माहौल बन रहा है। ब्लूम वेंचर्स में पार्टनर सजित पई ने कहा कि साल 2025 के भारतीय स्टार्टअप जगत के लिए ‘बड़ी सहजता’ या ‘बड़े संतुलन’ वाला साल होने के आसार हैं। वृद्धि वाले बाजारों में सुधार जारी रहेगा और आईपीओ की गतिविधियां दमदार रहेंगी।
हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव को लेकर चिंताएं हैं, खास तौर इसलिए कि यह ‘इंडिया1 इंजन’ (देश के आधे जीडीपी में योगदान करने वाले लगभग तीन करोड़ परिवार) पर बहुत अधिक निर्भर है, लेकिन पई इंडिया1 की बचत के पूंजी बाजार में लगातार आने को लेकर आशावादी हैं। उनका मानना है कि इससे स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी जगत की आईपीओ गतिविधियों को मदद मिलेगी। इससे भारतीय स्टार्टअप के लिए थोड़ा सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद मिलेगी।