नियामकीय दायरे से बाहर गैर-बैंकिंग इकाइयां उन मानकों और दिशा-निर्देशों के दायरे में शामिल नहीं हैं जो बैंकों से जुड़े हुए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबि शंकर ने बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में कहा कि बैंकिंग सेवा मुहैया कराने वाली इकाई बैंकों के समान नियमों के दायरे में आनी चाहिए। रबि शंकर ने इस समिट को संबोधित करते हुए कहा, ‘पूंजी पर्याप्तता, दक्षता, तरलता या केवाईसी, एएमएल, सीएफटी जैसी जरूरतों और मानकों पर ध्यान केंद्रित कर बैंकों का इकाई-आधारित नियमन उन फिनटेक कंपनियों के अनुकूल होना जरूरी है, जो समान नियामकीय जरूरतों के दायरे में नहीं हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मुख्य बिंदु यह है कि बैंकिंग सेवा मुहैया कराने वाली किसी संस्था को बैंकों जैसे नियमों के दायरे में लाए जाने की जरूरत होगी।’ यदि हम विभिन्न इकाइयों से जुड़ी समान गतिविधियों के लिए अलग अलग नियमों की वजह से पैदा हुई अक्षमताओं से बचना चाहते हैं तो बैंकिंग कार्य करने वाली गैर-बैंकिंग इकाइयों को बैंकों के समान लाइसेंस के दायरे में लाने और विनियमित किए जाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि लाइसेंस के बगैर बैंकिंग गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
डिप्टी गवर्नर ने ये बातें उस स्पष्टीकरण के संदर्भ में कहीं, जो आरबीआई ने जून में जारी किया था। इसमें कहा गया था कि प्रीपेड कार्ड क्रेडिट लाइंस द्वारा लोड नहीं किए जा सकेंगे, जिससे फिनटेक सेक्टर में चिंता पैदा हो गई, क्योंकि बड़ी तादाद में गतिविधियां प्रीपेड कार्डों के जरिये कार्ड लोडिंग के उनके बिजनेस मॉडल पर आधारित थीं।
उन्होंने कहा कि एक ऐसी व्यवस्था से नियामकीय मध्यस्थता से जुड़ी अक्षमताएं और जोखिम पैदा होंगे, जिसमें गैर-बैंकों और फिनटेक का नियमन बैंकों या उनकी सहायक इकाइयों जैसी विनियमित वित्तीय कंपनियों के नियमन के अनुरूप नहीं है।
फिनटेक को सामान्य तौर पर एक ऐसे उद्योग के तौर पर देखा जाता रहा है जो वित्तीय प्रणालियों और वित्तीय सेवाओं की डिलिवरी को ज्यादा सक्षम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करती हैं। फिनटेक कंपनियों में तेजी, बैंकिंग, उधारी प्लेटफॉर्मों और पेमेंट ऐप में सुधार बैंकिंग उद्योग की राह में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक प्रमुख स्रोत है। इन नए बिजनेस मॉडलों और मौजूदा व्यवसायों के विकास से नियामक के लिए नई चुनौतियां पैदा हुई हैं।
फिनटेक के लिए आरबीआई का नजरिया मुख्य तौर पर तीन सिद्धांतों पर आधारित है। पहला, नवाचार को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। दूसरा, वित्तीय प्रणालियों में नवाचार को सुगम तरीके से अमल में लाने की जरूरत है। तीसरा, हरेक चरण में डिजिटलीकरण से ग्राहक सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। रबि शंकर ने कहा, ‘नई प्रौद्योगिकी के सुगम इस्तेमाल के लिए जरूरी है सभी के लिए समान क्षेत्र सुनिश्चित करना। यदि क्रेडिट कार्ड पेशकश में बैंकिंग लाइसेंस की जरूरत हो तो इससे गैर-लाइसेंस वाली इकाई को बढ़ावा मिलने से लाइसेंसिंग प्रणाली कमजोर हो जाएगी।’
क्रिप्टोकरेंसी के बारे में रबि शंकर ने कहा कि मई 2022 से क्रिप्टो की चमक काफी फीकी पड़ी है, और उनका मूल्य दो-तिहाई घट गया है, तथा इकाइयों की विफलता से पारिस्थितिकी तंत्र की वास्तविकता सामने आई है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई की चेतावनी निवेशकों को नुकसान से बचाने की जरूरत पर आधारित है।