सस्ती दरों के कर्ज में भी होते हैं कई छिपे मर्ज

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 7:21 PM IST

पिछले पांच महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चार बार दरों में कटौती की घोषणा की है। बैंक ने खासकर नकदी संकट को कुछ हद तक कम किए जाने के लिए ये घोषणाएं कीं।
इन कटौतियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को दरें घटाए जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उदाहरण के लिए, देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने हाल में ही अपनी आवास ऋण दर को एक साल के लिए 8 फीसदी तय कर दिया है। यह 30 अप्रैल से पहले लिए जाने वाले ऋणों पर लागू है।
एलआईसी फाइनैंस 10 लाख रुपये से कम के ऋण के लिए 8.75 फीसदी की ब्याज दर पर आवास ऋण दे रही है। यह अपने उन ग्राहकों के लिए 0.25 फीसदी का डिस्काउंट भी दे रही है, जिन्होंने 15 लाख रुपये या इससे अधिक की निवेश-आधारित पॉलिसी (यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस योजनाएं) ले रखी हैं।
इन सब बातों से यह स्पष्ट है कि कम से कम अल्पावधि के लिए तो ऋण दरें ढीली पड़ रही हैं। दूसरी तरफ निजी क्षेत्र के कई बैंक भी दरों में कटौती को इच्छुक हैं। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सरकारी और निजी बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों के लिए ब्याज दरों में काफी अंतर मौजूद है।
कर्ज लेने वाले कई मौजूदा ग्राहकों को 13-14 फीसदी सालाना चुकाना पड़ सकता है। ऐसे में ये नई दरें इन ग्राहकों को अपने मौजूदा बैंकों के बजाय सस्ते ऋण देने वाले बैंकों की ओर मोड़ सकती हैं। 

लेकिन आपको फैसला लेने से पहले कई मुद्दों पर विचार किए जाने की जरूरत होगी। आप सिर्फ यह सोच कर अपना बैंक न बदलें कि वह सस्ती दर पर ऋण की पेशकश कर रहा है।
आपको अन्य कारकों पर भी नजर दौड़ानी होगी। आपको  पुनर्भुगतान और प्रतिबंधात्मक शुल्कों जैसे कारकों पर भी ध्यान देना होगा। खबरों में यह कहा गया है कि हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) ने कर्ज लेने वाले अपने मौजूदा ग्राहकों को शिफ्टिंग से रोकने के प्रयास के तहत फोरक्लोजर चार्ज यानी प्रतिबंधात्मक शुल्क बढ़ा कर 3 फीसदी कर दिया है।
आमतौर पर बैंक और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां कर्जदारों को बकाया रकम का लगभग 20-25 फीसदी का भुगतान बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के करने की अनुमति देती हैं। लेकिन अगर कोई पूरी राशि को चुकाना चाहता है तो सामान्यतया 1.5-2.5 फीसदी का पूर्व-भुगतान जुर्माना लिया जाता है।
दूसरी तरफ नए ऋण के प्रोसेसिंग चार्ज पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। कुछ बैंक ऋण राशि के 0.4-1 फीसदी (औसतन 0.5 फीसदी) के बीच शुल्क वसूलते हैं। 

अब ऋण के वक्त बरती जाने वाली बड़ी सावधानी की बात करते हैं। ऋण की बकाया अवधि पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। ऋण की अवधि यह तय करने के लिए बेहद अहम है कि क्या स्विचिंग यानी एक बैंक से दूसरे बैंक जाना कितना फायदेमंद होगा।
यदि ऋण की बकाया अवधि 15 साल से अधिक है, या मान लीजिए कि आपने पिछले 2-3 साल में ऋण लिया है, तो आपके बकाया ऋण के लिए 2 फीसदी का भी डिस्काउंट एक बड़ी बचत में तब्दील हो जाएगा।
दूसरे शब्दों में, अगर ब्याज दर छूट 2 फीसदी या इससे अधिक है और आपकी बकाया अवधि 14 साल है, तो आपको लोन स्विच कर देना चाहिए। ठीक इसी समय में अगर बकाया अवधि 10-12 साल हो तो स्विच करने यानी बैंक बदलने से होने वाला लाभ ज्यादा अधिक नहीं होगा।
अगर ऋण की बकाया अवधि 7 साल या इससे कम है तो 3 फीसदी का अंतर भी आपके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं होगा। 

यदि कोई दूसरा बैंक आपको ब्याज दर में 3 फीसदी या इससे अधिक की छूट दे रहा है और आपकी बकाया ऋण अवधि 3 से 7 साल के बीच है, तो आपको ऋण स्विच करने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में आपको ब्याज रकम का बड़ा हिस्सा बैंक को चुकाना होता है। इस मामले में सही लाभ की गणना करो और तब कोई निर्णायक कदम उठाओ।
यह याद रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि जो बैंक आपको सस्ती दर पर ऋण की पेशकश कर रहे हैं, वे बेहद दकियानूसी बने हुए हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपने 2007 के अंत में रियल एस्टेट में तेजी के समय 50 लाख रुपये में एक मकान खरीदा और 45 लाख रुपये का ऋण लिया।
कई बैंक आपको इतनी राशि देने को इच्छुक नहीं भी हो सकते हैं। ज्यादातर बैंक 20 फीसदी कम कीमत पर ऋण देना पसंद करते हैं। इस प्रकार से वे आपके मकान की कीमत का 70-80 फीसदी तक ऋण देते हैं। स्पष्ट है कि ऐसी स्थिति में आपको रकम के एक बड़े हिस्से की व्यवस्था अपनी जेब से करनी होगी।
स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है। अगर स्थिति और बदतर होती है तो बैंकों के पास आपसे अधिक राशि रखने को कहने का विकल्प मौजूद होगा अन्यथा आपको डिफॉल्टर की सूची में डाल दिया जाएगा।
इसलिए आप ऋण स्विच करने से पहले यह अच्छी तरह से देख लें कि भागदौड़ और पेपरवर्क आदि झंझट की तुलना में आपको मिलने वाला वित्तीय लाभ पर्याप्त है या नहीं। सबसे पहले अपने मौजूदा बैंक में जाकर यह मालूम करें कि क्या वह भी आपको कम ब्याज दर की पेशकश कर रहा है।
प्रतिस्पर्धी बैंक, जो अपने ग्राहकों को खोना नहीं चाहते, पेनाल्टी और रीफाइनैंस शुल्क वसूल कर आपके मौजूदा लोन को रीफाइनैंस कर देंगे। अगर ऋण स्विच से आपको अच्छा-खासा लाभ हो रहा हो, तो आगे बढें अौर इस पर अमल करें।
लेखक माईफाइनैशियल एडवायजर के निदेशक हैं।

First Published : March 8, 2009 | 10:27 PM IST