देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने तीन प्रमुख अवधि के लिए MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट्स (BPS) की बढ़ोतरी की है। यह नई दरें 15 नवंबर से लागू हो गई हैं, जिससे तीन महीने, छह महीने और एक साल की अवधि के लोन महंगे हो जाएंगे।
नई MCLR दरें
तीन महीने की MCLR: 8.50% से बढ़कर 8.55%।
छह महीने की MCLR: 8.85% से बढ़कर 8.90%।
एक साल की MCLR: 8.95% से बढ़कर 9%।
बाकी अवधि के लिए MCLR दरें स्थिर हैं, जैसे कि दो साल की MCLR 9.05% और तीन साल की MCLR 9.10% पर बनी हुई है।
लोन पर असर
MCLR में बढ़ोतरी का मतलब है कि होम लोन, ऑटो लोन, और अन्य लोन महंगे हो जाएंगे, जो इन नई दरों से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए, एक साल की MCLR से जुड़े लोन की मासिक किस्त (EMI) में हल्की वृद्धि हो सकती है। SBI की यह बढ़ोतरी अन्य बैंकों को भी इसी दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे लोन की कुल लागत उपभोक्ताओं के लिए बढ़ सकती है।
आरबीआई के कदमों से जुड़ा फैसला
SBI का यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिशों के अनुरूप है। RBI के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में सभी कमर्शियल बैंकों का औसत एक साल का MCLR 8.95% पर स्थिर रहा।
ऑटो और पर्सनल लोन पर भी असर
SBI की नई MCLR दरें ऑटो लोन और पर्सनल लोन पर भी असर डालेंगी। ऑटो लोन की दरें ग्राहक के CIBIL स्कोर पर निर्भर करती हैं, जबकि पर्सनल लोन की दरें SBI की दो साल की MCLR से जुड़ी होती हैं।