वित्त-बीमा

माइक्रोफाइनैंस सेक्टर में बढ़ती चूक बनी चिंता, FY26 की दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद

कर्नाटक में ग्राहक अनुशासन पर अध्यादेश और राजनीतिक चुनौतियों के कारण चूक में वृद्धि जारी रह सकती है।

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अभिजित लेले   
Last Updated- April 11, 2025 | 6:55 AM IST

देश में माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र में चूक की दर मार्च 2025 तिमाही में उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान है। कर्नाटक में ग्राहक अनुशासन पर अध्यादेश और राजनीतिक चुनौतियों के कारण चूक में वृद्धि जारी रह सकती है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक माइक्रोफाइनैंस सेग्मेंट में कर्ज वसूलने की कुशलता पर बुरा असर पड़ सकता है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही) में ही चूक में सतत सुधार की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2026 में एनबीएफसी-एमएफआई के लिए क्षेत्र के बिगड़ते दृष्टिकोण और स्थिर रेटिंग आउटलुक को बनाए रखा है।

इंडिया रेटिंग्स में फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशंस के वरिष्ठ निदेशक करण गुप्ता ने कहा, ‘निकट भविष्य में हम अध्यादेश के कारण कर्नाटक पोर्टपोलियो पर अग्रिम प्रवाह के असर पर नजर बनाए रखेंगे।’ एजेंसी ने कहा कि वह देश के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में लू के असर और आगामी मॉनसून की प्रगति पर भी नजर रखेगी।

वित्त वर्ष 2025 की दिसंबर तिमाही से ही सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एनबीएफसी-एमएफआई) के रूप में काम करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के हर सेग्मेंट के चूक में वृद्धि जारी है। कर्ज के भुगतान में देय तिथि से 90 दिन से अधिक की देरी (डीपीडी) बढ़कर 3.5 फीसदी पर पहुंच गई है, जो वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 2.8 फीसदी और और वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 1.8 फीसदी थी। भुगतान में 60 दिन से अधिक की देरी भी बढ़ी है। यह वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 5.6 फीसदी रही, जो दूसरी तिमाही में 3.9 फीसदी और पहली तिमाही में 2.6 फीसदी थी।

First Published : April 11, 2025 | 6:55 AM IST