बीमा

मानसिक बीमारियों के लिए ओपीडी कवरेज वाली पॉलिसी खरीदें

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संजय कुमार सिंह, कार्तिक जेरोम
Last Updated- April 14, 2023 | 10:57 PM IST

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के लिए समान स्वास्थ्य बीमा कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।

IRDAI ने 27 फरवरी 2023 को जारी एक परिपत्र में सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को आदेश दिया है कि वे मानसिक बीमारी, विकलांग और एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्तियों को भी कवरेज प्रदान करें। परिपत्र में बीमाकर्ताओं से आग्रह किया गया है कि वे बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक अंडरराइटिंग नीति को अपनाएं ताकि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव से बचा जा सके।

उद्योग की चुनौतियां

इस प्रकार के जोखिम को कवर करने में उद्योग की बड़ी चुनौती पर्याप्त डेटा का अभाव है। मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के प्रमुख (पॉलिसी) आशिष यादव ने कहा, ‘हमें मामले की दर और इस श्रेणी के व्यवहार आदि के बारे में कहीं अधिक डेटा की आवश्यकता है। इससे उद्योग को सही मूल्य के साथ उपयुक्त पॉलिसी लाने में मदद मिलेगी।’

यादव के अनुसार, खुलासा न होना इस श्रेणी की दूसरी प्रमुख चुनौती है।

क्या कवर किया गया है

मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम 2017 में कहा गया है कि प्रत्येक बीमाकर्ता मानसिक बीमारियों के उपचार के लिए उसी तरह चिकित्सा बीमा प्रदान करेगा जिस प्रकार शारीरिक बीमारियों के उपचार के लिए उपलब्ध है। दूसरे शब्दों में, बीमाकर्ता मानसिक और शारीरिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों के बीच भेदभाव नहीं कर सकते।

पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के कारोबार प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) सिद्धार्थ सिंघल ने कहा, ‘इससे पहले मानसिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को अंडरराइटिंग चरण में ही कवरेज प्रदान करने से इनकार कर दिया जाता था। लेकिन अब वे पॉलिसी खरीद सकते हैं। अगर उन्हें पहले से कोई बीमारी है तो उन्हें प्रतीक्षा अवधि पूरी करनी पड़ सकती है।’

यादव ने कहा, ‘फिलहाल मानसिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को अंडरराइट किया जाता है। यदि उन्हें स्वीकार कर लिया जाए तो वे भी सामान्य पूल का हिस्सा बन जाएंगे। ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने के लिए बाजार में उपलब्ध सामान्य बीमा पॉलिसियां उनके लिए भी उपलब्ध होंगी।’

कवरेज में अंतर

मानसिक बीमारियों के कवरेज में एक समस्या यह भी है कि बीमाकर्ताओं के बीच अंडरराइटिंग मानकों में अंतर होते हैं। कुछ बीमाकर्ताओं के मानक कहीं अधिक सख्त हैं जो मानसिक रोगियों को बाहर कर देते हैं।

दूसरा मुद्दा मानसिक बीमारियों को कवरेज से बाहर रखने का है। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स के प्रमुख (बिक्री एवं सेवा) नयन गोस्वामी ने कहा, ‘हालांकि कई पॉलिसियों में कहा जाता है कि मानसिक बीमारियों को भी कवर किया जाएगा लेकिन कुछ पॉलिसियों में अभी भी मानसिक बीमारियों को कवर से बाहर रखा गया है। मगर, बीमा नियामक के नए सर्कुलर के बाद इसमें कमी आनी चाहिए।’

संभावित प्रभाव

बीमा नियामक के ताजा परिपत्र के कारण मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज से वंचित करना बीमाकर्ताओं के लिए कठिन हो जाएगा। इससे ग्राहकों को स्वीकार करने के लिए समान मानकों को अपनाने के लिए उद्योग को मजबूर किया जा सकता है।

पॉलिसी बॉस डॉट कॉम के कार्यकारी निदेशक अपार कासलीवाल ने कहा, ‘इस परिपत्र के बाद उपभोक्ताओं को इन शर्तों के लिए कवरेज की सीमा और दायरे के बारे में अधिक स्पष्टता मिलेगी। साथ ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि कौन सा हिस्सा कैशलेस होगा और किसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी और अंतत: किसे कवरेज से बाहर रखा जाएगा।’

फिलहाल बीमाकर्ता उन पॉलिसीधारकों के लिए स्वत: बीमारियों के कवरेज का विस्तार कर रही हैं जिनके लिए कोई पूर्व शर्त नहीं रखी गई थी। कासलीवाल ने कहा, ‘हम पूर्व शर्तों वाली पॉलिसी के लिए नियमों में संशोधन अथवा नई पॉलिसी लॉन्च होने की उम्मीद करते हैं।’

यदि बीमाकर्ता मानसिक बीमारी वाले लोगों को कवरेज देने से इनकार नहीं कर सकेगा तो उसका सकारात्मक प्रभाव दिखेगा। गोस्वामी ने कहा, ‘इन रोगियों को कई अन्य बीमारियों के लिए कवरेज मिलेगा जिनसे वे मानसिक बीमारियों के अलावा पीड़ित हो सकते हैं।’

जिन मानसिक बीमारियों से ग्राहक पहले से पीड़ित हैं उनके लिए उन्हें प्रतीक्षा अवधि पूरी करनी पड़ सकती है। हालांकि इस संबंध में नियमों का स्पष्ट होना अभी बाकी है।

ओपीडी को भी कवरेज में शामिल करने की जरूरत

मानसिक बीमारियों से पीड़ित करीब 80 से 90 फीसदी लोग केवल बहिरंग रोगी विभाग में उपचार की जरूरत होती है।

स्टार हेल्थ ऐंड एलाइड इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एस प्रकाश ने कहा, ‘जब तक बीमा पॉलिसी के तहत बहिरंग रोगी उपचार (इसके तहत परामर्श और दवाएं शामिल होती हैं) को कवर नहीं किया जाता तब तक इससे मानसिक बीमारियों से पीड़ित समुदाय की कोई खास मदद नहीं मिलेगी। इसलिए ओपीडी देखभाल को सभी नियमित स्वास्थ्य बीमा कवर में शामिल करने की जरूरत है।’

आपको क्या करना चाहिए

मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पॉलिसी की शर्तों या ग्राहक सूचना पत्र (सीआईएस) की जांच करनी चाहिए। गोस्वामी ने कहा, ‘पॉलिसी की शर्तों को डाउनलोड करें और बारीकी से देखें कि किन मानसिक बीमारियों को कवरेज से बाहर रखा गया है।’

प्रकाश ने सुझाव दिया कि तीन बातों पर गौर करना जरूरी है: पहला, प्रतीक्षा अवधि क्या है। दूसरा, क्या ओपीडी परामर्श एवं दवाओं को कवरेज में शामिल किया गया है। तीसरा, क्या सभी अस्पतालों में भर्ती की अनुमति दी गई है अथवा केवल मानसिक रोग के लिए विशेष अस्पतालों में ही।

सिंघल ने कहा कि उस पॉलिसी को चुनें जिसकी प्रतीक्षा अवधि कम हो। यादव ने जोर देकर कहा कि पॉलिसी खरीदते समय सभी पूर्व शर्तों के बारे में पूरी तरह से अवगत होना जरूरी है।

अंतत: ऐसे बीमाकर्ता को चुनें जिसका दावा निपटान अनुपात बेहतर हो। साथ ही यही भी देखना जरूरी है कि आप जिस अस्पताल में इलाज कराना चाहते हैं वह नेटवर्क अस्पतालों की सूची में शामिल है अथवा नहीं।

First Published : April 14, 2023 | 10:57 PM IST