हादसे के बाद घटनास्थल का दृश्य | फोटो: PTI
पिछले महीने अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा की गई शुरुआती जांच में इस घटना को स्पष्ट रूप से पायलट की गलती नहीं बताया गया, लेकिन बीमा उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह हादसा पायलट की गलती से भी हुआ, तो भी इससे बीमा दावों के भुगतान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनका कहना है कि चाहे कारण पायलट की गलती हो या किसी अन्य प्रकार की प्रणालीगत विफलता, पीड़ित मुआवजा पाने के हकदार बने रहेंगे। एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइन 12 जून को अहमदाबाद में उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए थे। इस दुर्घटना में केवल एक ही यात्री जीवित बचा था।
एक बीमा ब्रोकर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कहा, ‘बीमा राशि एयरलाइन को चुकानी होगी, क्योंकि अगर दुर्घटना पायलट की गलती से हुई हो तो भी वह पॉलिसी में कवर है। परिस्थिति चाहे जो भी हो, बीमा राशि चुकानी ही होगी। इसके अलावा, कुछ पीड़ितों ने बेहतर मुआवजा पाने के लिए ब्रिटेन की एक लॉ फर्म से बात की है।’
बीमा भुगतान में बदलाव का एकमात्र मामला तब बन सकता है जब एयर इंडिया के प्रबंधन को दुर्घटना की जानकारी हो। बीमा भुगतान में कोई भी बदलाव तभी होगा जब दुर्घटना जानबूझकर एयरलाइन द्वारा की गई हो। अन्य बीमा ब्रोकर ने बताया, ‘पायलट की गलती से कुछ (बीमा भुगतान) नहीं बदलता। बीमा अभी भी देय है। अगर प्रबंधन ने जानबूझकर विमान को दुर्घटनाग्रस्त किया हो या पायलट की स्थिति के बारे में उन्हें पता हो, तभी लोग अधिक मुआवजे के हकदार हो सकते हैं। लेकिन, इस बारे में अभी कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।’
आमतौर पर विमानन दावों में तीन प्रकार की देनदारियां शामिल होती हैं- विमान को हुई क्षति, यात्रियों की जान की हानि (जिसमें चालक दल के सदस्य भी शामिल हैं) तथा विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर जान की हानि के कारण तीसरे पक्ष की देनदारी और कार्गो देनदारी। जान गंवाने वालों के लिए थर्ड-पार्टी देनदारी संबंधित मुआवजा ‘मॉन्ट्रियल कन्वेंशन’ द्वारा नियंत्रित होता है, जो अधिकांश अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लागू होता है। इस कन्वेंशन के तहत एयरलाइनें एक निश्चित सीमा तक के नुकसान के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं जो मौजूदा समय में प्रति यात्री लगभग 1.5 करोड़ रुपये है। वहीं पायलट की गलती साबित होने पर इससे अधिक राशि का मुआवजा भी देना पड़ सकता है। उद्योग के जानकारों ने बीमा दावे 47.5 करोड़ डॉलर होने का अनुमान जताया है। इसमें 12.5 करोड़ डॉलर विमान ढांचे के लिए और शेष देनदारी 35 करोड़ डॉलर से अधिक की होगी जिसमें थर्ड-पार्टी देयता भी शामिल है। दावों का बड़ा हिस्सा संभवतः वैश्विक पुनर्बीमाकर्ताओं द्वारा वहन किया जाएगा, क्योंकि विमानन पॉलिसियां आमतौर पर इस तरह से बनाई जाती हैं कि प्राथमिक बीमाकर्ता पुनर्बीमा व्यवस्थाओं के माध्यम से जोखिम का एक बड़ा हिस्सा हस्तांतरित करते हैं।
सरकार के स्वामित्व वाली जीआईसी री इस मामले में 47.5 करोड़ डॉलर की बीमा देनदारियों में 5.15 प्रतिशत देयता से जुड़ी है। एयर इंडिया ने अपने बेड़े का 20 अरब डॉलर का बीमा भारतीय बीमा कंपनियों से करवाया था, जिनमें टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस और अन्य सरकारी स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कंपनियां शामिल हैं। टाटा एआईजी ने 30-40 प्रतिशत जोखिम के लिए कवरेज प्रदान किया है और यह बीमा कंपनियों में एक प्रमुख बीमाकर्ता है।