महंगाई से लड़ना है इसलिए कम ही खुल रही है अब पर्स की जिप

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 1:43 PM IST

एक 29 साल के उद्यमी अजय यादव के लिए पिछले कुछ महीने खासे  मुश्किल भरे रहे हैं। कुछ महीने पहले ही यादव ने एक बड़ा  कदम लेते हुए खुद की नौकरी दिलाने वाली कंपनी जॉब स्माइल शुरू की। 


उस वक्त यादव विश्वास से लबरेज थे कि वह कुछ लाख रुपयों की जमा रकम से कारोबार के पहले चरण को पार कर सकने में सफल  साबित होंगे। बकौल यादव,-मुझे पता था कि मुझे अपने कारोबार को  मुनाफा देने वाला बनाने और पहले जितना कमाने के लिए और  समय की जरूरत होगी।

लेकिन अचानक से कीमतों में हुई बढ़ोतरी के  कारण मेरी गणनाओं का समीकरण बिल्कुल बिगड़ कर रह गया। और फिर यादव ने खर्चों में कुछ जबरदस्त कटौतियां करने वाले कदम  उठाए। अकेले फ्लैट लेने के बजाए एक और दोस्त के साथ मिलकर किराये पर कमरा लेने का कदम उठाया। महज एक साल पहले की  बात की जाए तो उसी कमरे के लिए किराया 6,000 रुपये प्रति महीना खर्च होता था, वहीं अब उसी कमरे के लिए 12,000 रुपये प्रति महीने देने पड़ रहे हैं।

बात इतनी ही नहीं, बल्कि यादव ने अपने खाने पीने के  खर्चे समेत हर प्रकार के  अन्य खर्चों  मसलन पार्टी, मूवी देखने समेत  अन्य प्रकार के खर्चे भी कम किए हैं। इसके अलावा यादव ने घूमने  फिरने पर भी अंकुश लगाना शुरू कर दिया है। महीने में पहले जहां वह  600 किलोमीटर ड्राइव किया करते थे वहीं अब यह घटकर 30 किलोमीटर रह गया है। अब वह गाड़ी की जगह ट्रेन का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। जबकि कम दूरी वाली स्थिति में वह अपनी बाइक का इस्तेमाल करते हैं।

महंगाई का सामना बस यादव जैसे लोग ही नहीं कर रहे हैं बल्कि  सेवानिवृत लोगों को भी इससे रु-ब-रु होना पड़ रहा है। संध्या कोलवंकर जो एक सेवानिवृत्त बैंकर की पत्नी हैं, कहती हैं कि घरेलू  बजट में बड़े ही नाटकीय तरीके से इजाफा हुआ है। खासकर अनाज के खर्चे की बात करें तो इसमें कुल 20 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। लिहाजा खर्चे पर पाने के लिए कोलवंकर परिवार ने खर्चीले रेडीमेड सूप और फलों के जूस खरीदने कम किए हैं।

उनके पास एक कार है पर उसका इस्तेमाल करना फिलहाल उन्होने बंद कर रखा है। इसके  अलावा लंबी दूरियों वाली छुट्टियों पर भी उन्होंने जाना बंद कर रखा  है। महंगाई ने मगर सिर्फ मध्यम वर्ग के परिवारों पर ही सितम नहीं ढाया बल्कि जिनकी तनख्वाह 12 लाख रुपये से भी ज्यादा है, वे  भी इसकी  तपिश महसूस कर रहे हैं। इस बारे में 34 साल के दिवाकर सिंह जिनकी सालाना पगार 15 लाख रुपये है, कहते हैं कि- मैं अब अपने वैभवपूर्ण  जीने के तौर तरीकों पर नियंत्रण रख रहा हूं।

साथ ही इसमें कटौतियां भी  करनी मैंने शुरू कर दी हैं। शेयर बाजारों और म्युचुअल फंडों में  लगातार निवेश करने वाले सिंह को महंगाई का असर तब मालूम होना शुरू हुआ जब उनकी मासिक निवेश वाली रकम में कमी आनी शुरू हुई। इसे महसूस करते हुए सिंह ने अब अपने पिता की मारूति 800 से ऑफिस जाना शुरू किया है जो बेहतर माइलेज देती है। इसके अलावा सिंह को जब भी मौका मिलता है वह अपने दोस्तों के साथ  कार शेयर करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। पहले हरेक 15-20 दिनों  पर मोबाइल बदलने वाले सिंह का कहना है कि पिछले एक महीने से उन्होंने पुराना मोबाइल ही अपने पास रखा है।

इसके अलावा अपनी  बीवी के साथ सप्ताहांत छुट्टियों पर भी जाना कम किया है। अब हरेक  हफ्ते बाहर खाने और मूवी देखने में भी सिंह ने कटौतियां की हैं।  हालांकि महंगाई दर में हुई 0.02 फीसदी की कमी ने कुछ हद तक राहत के संकेत दिए हैं पर यह परिदृश्य अभी भी उतना बेहतर नहीं  दिख रहा है।

जैसा अभी हाल ही में बारक्लेज कैपिटल ने हाल ही में यह अनुमान लगाया है कि इस सितंबर तक महंगाई दर 17 फीसदी के  पार जा सकती है। जबकि इसी रिपोर्ट के मुताबिक इसके पूरे आसार हैं  कि ईंधन कीमतों में भी इस साल 10 से 20 फीसदी तक का इजाफा हो  सकता है। ये सारे इशारे खासे मुश्किल भरे दौर की ओर इशारा कर रहे  हैं। लिहाजा अपनी अपनी कमर कस कर बांधने का समय आ गया है।

First Published : July 27, 2008 | 11:15 PM IST