भारतीय रिजर्व बैंक ने इंडसइंड बैंक के सीईओ की जिम्मेदारी निभाने के लिए समिति गठित करने को मंजूरी दे दी है। समिति अधिकतम तीन महीने तक यह जिम्मेदारी निभाएगी। अगर उससे पहले ही नए सीईओ ने काम संभाल लिया तो समिति खत्म हो जाएगी। यह कार्यकारी समिति बोर्ड की निगरानी समिति की नजर और निर्देशन के तहत बैंक का कामकाज संभालेगी।
निजी क्षेत्र के इस बैंक ने आज एक्सचेंजों को बताया कि निरीक्षण समिति के मुखिया बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता होंगे और इसमें ऑडिट समिति के चेयरमैन, मुआवजा एवं नामांकन तथा पारिश्रमिक समिति के चेयरमैन एवं जोखिम प्रबंधन समिति के मुखिया बतौर सदस्य रहेंगे। बैंक ने कहा, ‘बोर्ड ने भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति के हिसाब से अधिकारियों की समिति गठित की है। यह समिति बैंक का कामकाज देखेगी। चाहे मौजूदा एमडी व सीईओ के कार्यभार छोड़ने के तीन महीने पूरे हों या चाहे नए एमडी और सीईओ काम संभालें, यह समिति काम करना बंद कर देगी। तब तक यह जिम्मा संभालती रहेगी।’
बैंक के एमडी और सीईओ सुमंत कठपालिया ने कल इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद समिति का गठन किया गया है। कठपालिया ने लेखांकन में गड़बड़ के बाद हुए भूल/चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया। इस गड़बड़ के कारण बैंक को करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक ने इंडसइंड बैंक से कहा है कि मंजूरी के लिए सीईओ के नाम जल्द से जल्द भेजे जाएं।
भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी के बाद बैंक ने ‘अधिकारियों की समिति’ बना दी है। इस समिति में उपभोक्ता बैंकिंग के प्रमुख सौमित्र सेन और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अनिल राव शामिल हैं। निजी बैंक ने एक्सचेंजों को सूचित किया, ‘बैंक प्रशासन के ऊंचे पैमाने बरकरार रखते हुए स्थायित्व और संचालन सुनिश्चत करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है।’
कठपालिया के इस्तीफे से एक दिन पहले सोमवार को डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने भी लेखांकन में इन खामियों के कारण त्यागपत्र दे दिया था। जनवरी में सीएफओ गोविंद जैन के इस्तीफे के बाद खुराना को यह जिम्मेदारी दी गई थी। सीईओ और डिप्टी सीईओ के त्यागपत्र के बाद इंडसइंड बैंक के बोर्ड में पूर्णकालिक निदेशक ही नहीं बचे हैं। रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार निजी क्षेत्र के बैंक में कम से कम दो पूर्णकालिक निदेशक जरूरी हैं।
अधिकारियों की समिति में शामिल सेन वितरण नेटवर्क मजबूत करने का जिम्मा लेकर 2008 में इंडसइंड बैंक आए थे। उन्होंने करियर की शुरुआत दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले के साथ की थी और फिर खुदरा बैंकिंग में चले आए थे। उन्होंने बैंक ऑफ अमेरिका, डॉयचे बैंक एजी, एबीएन एमरो बैंक एनवी और आरबीएस के साथ काम किया। इसके बाद वह इंडसइंड बैंक में आए।
इंडसइंड बैंक का शेयर आज मामूली बढ़त के साथ 838.45 रुपये पर पहुंच गया। विश्लेषकों ने कहा है कि इंडसइंड बैंक का पोर्टफोलियो खास तरह का है, इसलिए इसकी पुन: रेटिंग के लिहाज से निजी क्षेत्र के बैंकर का ही एमडी व सीईओ बनना जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में सीईओ का कार्यकाल घटाए जाने पर निजी क्षेत्र के बैंक सरकारी बैंकों से आए उम्मीदवार चुनने लगे हैं क्योंकि नियामक उनके साथ काफी सहज महसूस करते हैं।
मैक्वेरी कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘शीर्ष पद पर इस्तीफा आने से प्रबंधकीय अनिश्चितता बहुत बढ़ जाती है मगर हमारे हिसाब से उन उम्मीदवारों पर नजर रखनी चाहिए, जिन्हें सीईओ बनाया जा सकता है। हमारी राय में सीईओ पद पर निजी बैंकर को ही आना चाहिए। बैंक का कर्ज पोर्टफोलियो अलग है और वाहन ऋण, माइक्रोफाइनैंस, रत्नाभूषण की इसमें 37 फीसदी हिस्सेदारी देखते हुए यह जरूरी है। यह भी देखना होगा कि रिजर्व बैंक सरकारी बैंक से किसी को निदेशक नियुक्त करता है या नहीं। हमने येस बैंक, आरबीएल बैंक और बंधन बैंक में देखा है कि नॉमिनी निदेशक के बाद सरकारी बैंकों से ही सीईओ आए हैं।’
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार नेतृत्व में बदलाव ही सबसे अच्छा परिणाम होगा क्योंकि कठिन निर्णय लिए जाने हैं। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘कई निजी बैंकों ने हाल में सरकारी बैंकों के अधिकारी ही नियुक्त कए हैं। लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि खोज समिति के सामने क्या यही ढंग का विकल्प था। संतुलन बनाना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि संगठन से प्रतिक्रिया कुछ देर में मिलती है। इसके कारण अनुमान से ज्यादा लोग नौकरी छोड़ सकते हैं और स्थिति सामान्य होने में ज्यादा समय लग सकता है।’