वित्त-बीमा

वर्ष 2025 में सरकारी बैंकों ने दिए ज्यादा ऋण

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट (अप्रैल 2025) के अनुसार ऋणों में उनकी हिस्सेदारी एक साल पहले के 51.7 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 में 57.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।

Published by
अभिजित लेले   
Last Updated- April 09, 2025 | 11:49 PM IST

मार्च में समाप्त वित्त वर्ष 2025 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के ऋणों में वृद्धि की रफ्तार बनी रही जबकि बैंक ऋणों में कुल मिलाकर नरमी रही। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति रिपोर्ट (अप्रैल 2025) के अनुसार ऋणों में उनकी हिस्सेदारी एक साल पहले के 51.7 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 में 57.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।

सरकारी बैंकों के विपरीत ऋण वितरण में निजी ऋणदाताओं की भागीदारी मार्च 2024 के 46.6 फीसदी से घटकर मार्च 2025 में 39.1 फीसदी रह गई। विदेशी बैंकों ने ऋणों में अपनी भागीदारी में इजाफा दर्ज किया और यह भागीदारी 22 मार्च 2024 के 1.8 फीसदी से बढ़कर 21 मार्च 2025 को 3.6 फीसदी पर पहुंच गई। बैंकरों ने कहा कि कम क्रेडिट टू डिपॉजिट रेशियो (सीडी रेशियो) वाले सार्वजनिक बैंक ऋण वितरण में तेजी लाने में सक्षम रहे जबकि निजी ऋणदाता ऊंचे सीडी रेशियो से जूझते रहे। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पीएसबी 2024-25 में सभी अनुसूचित कमर्शियल बैंकों (एससीबी) के वृद्धिशील ऋण के प्रमुख वाहक बने रहे।’

केयर रेटिंग्स के आरंभिक आकलन से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों के ऋण करीब 7.5-8 फीसदी तक बढ़े जबकि सार्वजनिक बैंकों के ऋण में लगभग 12-13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सीडी अनुपात 77-78 प्रतिशत रहा जबकि निजी बैंकों के लिए यह 90 फीसदी से ऊपर दर्ज किया गया।

वित्त वर्ष 2025 के मध्य में आरबीआई ने कुछ बैंकों (खासकर निजी बैंकों) के ऋण खातों में तेज वृद्धि को लेकर चिंता जताई थी और उनसे बिजनेस मॉडल में बदलाव करने को कहा था जिससे उनमें से कुछ की उधारी गतिविधियों में नरमी आने लगी। केयर रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक (बीएफएसआई रेटिंग्स) संजय अग्रवाल का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक खासकर बेहतर रेटिंग वाले ग्राहकों को ऋण देने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

First Published : April 9, 2025 | 11:49 PM IST