वित्त-बीमा

IDBI बैंक की हिस्सेदारी बिक्री, प्रक्रिया में हो सकती है देरी

IDBI बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री सरकार के लिए अहम है। इससे सरकार को वित्त वर्ष 23 का 51,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।

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श्रीमी चौधरी   
Last Updated- August 08, 2023 | 11:30 PM IST

सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की IDBI बैंक में हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री में प्रक्रियात्मक देरी की संभावना है। इस प्रक्रिया से जुड़े लोगों ने कहा कि संभावित वित्तीय बोली का समय बढ़कर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जाने की उम्मीद है।

विनिवेश प्रक्रिया में वित्तीय बोली दूसरा महत्त्वपूर्ण कदम है। यह संभावित बोली लगाने वालों के रुचि पत्र के बाद की प्रक्रिया है, जिसमें उन्हें विनिवेश आय के प्रतिशत में लेन देन शुल्क बताने की जरूरत होती है, जो लेन देन की प्रक्रिया पूरी होने पर सरकार के खजाने में जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक चुने गए संभावित बोली लगाने वालों का ‘फिट-ऐंड-प्रॉपर आकलन’ कर रहा है। उसे अभी मंजूरी देना बाकी है, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि वित्तीय बोली का समय बढ़ाना पड़ सकता है।

प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि सितंबर की शुरुआत में बोली आमंत्रित की जाएगी, लेकिन प्रक्रियात्मक देरी हो रही है और इसकी वजह से कुछ और वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग नियामक एक बैंक से संबंधित होने के कारण सतर्क रुख अपना रहा है और यह सही भी है।

आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री सरकार के लिए अहम है। इससे सरकार को वित्त वर्ष 23 का 51,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। बाजार की स्थिति को देखते हुए इस सौदे से करीब 15,000 से 16,000 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है।

माना जा रहा है कि नियामक बैंक की पूंजी पर्याप्तता, अधिग्रहण के बाद की स्थिति, संभावित बोली लगाने वालों के रिकॉर्ड के मुताबिक उनकी विश्वसनीयता, बैंक में अतिरिक्त पूंजी डालने की स्थिति में वित्तीय व्यावहारिकता और सबसे अहम हितों के टकराव के मसले पर विचार कर रहा है।

उपरोक्त उल्लिखित व्यक्ति ने कहा, ‘कुछ पहलुओं जैसे हितों के टकराव को देखने के लिए विभिन्न स्रोतों से ढेर सारी सूचनाएं जुटाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि दोनों मंत्रालय और बैंक पूरी प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं। सरकार की हिस्सेदारी का प्रबंधन देखने वाला निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) रिजर्व बैंक से हरी झंडी मिलने के बाद से पहले के इतिहास की जांच करेगा और उसके मुताबिक वित्तीय बोली आमंत्रित करेगा। उल्लेखनीय है कि बैंक के डेटा रूम तक पहुंच बोली लगाने वालों के लिए खोली जाएगी, जो गृह मंत्रालय और रिजर्व बैंक की जांच के बाद पात्र पाए जाएंगे।

उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल आईडीबीआई की हिस्सेदारी की बिक्री की संभावना है, जब वित्तीय बोली आमंत्रित होगी और शेयरों के हस्तांतरण और बोली हासिल करने वाले के ओपन आफर की प्रक्रिया पूरी होने में 2 से 3 महीने और लगेंगे। सार्वजनिक नीति और सरकार के मामलों के स्वतंत्र विशेषज्ञ अरिंदम गुहा ने कहा कि लेन देन के स्तर पर देरी से बचने के लिए सरकार क्षमतावान कंपनी को विनिवेश सूची में शामिल करने के पहले उसका शुरुआती आकलन कर सकती है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सभी वित्तीय, कानूनी और अन्य दस्तावेज संबंधी काम भी पहले किए जा सकते हैं।

सरकार को आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 7 जनवरी को घरेलू और विदेशी निवेशकों से कई ईओआई मिले थे। सफल बोली लगाने वाले को इसके प्रबंधन का नियंत्रण भी मिलेगा। इस पेशकश में सरकार की 30.48 प्रतिशत और मौजूदा प्रवर्तक एलआईसी की 30.24 प्रतिशत हिस्सेदारी बिकनी है।

First Published : August 8, 2023 | 9:57 PM IST