वित्त-बीमा

डिजिटलीकरण की बदौलत रुपया दूसरे देशों में हो रहा दुलारा

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण को समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण से लाभ मिल रहा है और इससे भारत के विदेश से जुड़े क्षेत्र को गति मिलेगी।’

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मनोजित साहा   
Last Updated- July 29, 2024 | 10:57 PM IST

डिजिटलीकरण सीमा पार कारोबार के कठोर नियम तोड़ रहा है। इससे एक-देश से दूसरे देश को भुगतान के मामले में तरजीही मुद्रा के रूप में रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण में तेजी लाने का मौका मिल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की 2023-24 के लिए मुद्रा एवं वित्त रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

‘भारत की डिजिटल क्रांति’ पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल वस्तु और सेवा व्यापार का विस्तार और विविधता लाने, सस्ते धन प्रेषण को बढ़ावा देने और डिजिटल क्षेत्रों में एफडीआई बढ़ाने के लिए खुली अर्थव्यवस्था के ढांचे में भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) का लाभ उठाने की अपार संभावनाएं हैं।

इसमें कहा गया है, ‘रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण को समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण से लाभ मिल रहा है और इससे भारत के विदेश से जुड़े क्षेत्र को गति मिलेगी।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे तो अंतरराष्ट्रीय भुगतान करने में अमेरिकी डॉलर प्रमुख मुद्रा बना हुआ है, लेकिन कुल आवंटित रिजर्व में इसकी हिस्सेदारी साल 2000 के 71 फीसदी से घटकर 2023 में करीब 58 फीसदी रह गई है।

First Published : July 29, 2024 | 10:56 PM IST