भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि कर्ज का पूरा भुगतान करने के 30 दिन के बाद विनियमित कंपनियों (आरई) को चल या अचल संपत्ति से जुड़े मूल दस्तावेज और रजिस्ट्री पर लगाया शुल्क हटा लेना चाहिए। इसमें 30 दिन की अवधि से अधिक विलंब होने की स्थिति में (आरई) को रोजाना 5000 रुपये की दर से कर्ज लेने वाले को मुआवजा देना होगा।
ऐसे में आरई को देरी का कारण भी बताना होगा। यह दिशानिर्देश 1 दिसंबर, 2023 के बाद सभी चल/अचल संपत्तियों को जारी करने पर लागू होंगे। आरबीआई ने बताया कि उधारी लेने वालों को आ रही दिक्कतों और उधारी देने को जिम्मेदारपूर्वक बनाने के लिए यह दिशानिर्देश जारी किए गए।
साल 2003 से लागू उचित आचरण संहिता के तहत आरई को सभी चल/अचल संपत्तियों के दस्तावेज जारी करने होते हैं। आरबीआई के मुताबिक यह देखने में आया है कि आई चल और अचल संपत्तियों के दस्तावेज उधारी लेने वालों को जारी करने के दौरान अनुचित तरीके अपनाते हैं जिससे ग्राहकों की शिकायतें व विवाद बढ़े हैं।
कर्ज लेने वाले को उसकी प्राथमिकता के अनुसार मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों को या तो उस बैंक शाखा से एकत्र करने का विकल्प दिया जाएगा जहां ऋण खाता संचालित किया गया था या संबंधित इकाई के किसी अन्य कार्यालय से जहां दस्तावेज उपलब्ध हैं।
चल/अचल संपत्ति के मूल दस्तावेजों की वापसी की समयसीमा और स्थान के बारे में कर्ज मंजूरी पत्रों में उल्लेख किया जाएगा। आरबीआई ने यह भी कहा कि कर्जदाता या संयुक्त कर्जदाताओं के निधन की स्थिति को लेकर वित्तीय संस्थान कानूनी उत्तराधिकारियों को चल/अचल संपत्ति के मूल दस्तावेजों की वापसी को लेकर पहले से प्रक्रिया निर्धारित करके रखेंगे।