वित्त-बीमा

बढ़ती उधारी लागत से खबरदार

Published by
सुब्रत पांडा
Last Updated- December 28, 2022 | 12:21 AM IST

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने महामारी का सामना बेहतर तरीके से किया है और इससे उनके मुनाफे में सुधार हुआ है, लेकिन उन्हें उधारी की बढ़ती लागत से सचेत रहने की जरूरत है। महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की सख्ती के कदमों के कारण इस समय उधारी की लागत बढ़ रही है, जिसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 2021-22 के ‘वार्षिक रुझान एवं प्रगति रिपोर्ट’ में यह कहा है।

रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘मजबूत पूंजी बफर, पर्याप्त प्रावधान और पर्याप्त नकदी के साथ एनबीएफसी विस्तार के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद एनबीएफसी को बढ़ती उधारी लागत को लेकर सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि वित्तीय स्थिति सख्त हो रही है।’ एनबीएफसी ने बैंकों से उधारी बढ़ा दी है। यह एनबीएफसी की उधारी के सबसे बड़े स्रोत हैं। मई से रिजर्व बैंक ने मानक नीतिगत दरों में 225 आधार अंक की बढ़ोतरी की है, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके।

बहरहाल बैंकों ने अब तक दरों में हुई पूरी बढ़ोतरी को धन की सीमांत लागत पर आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) पर नहीं डाला है, ऐसे में एनबीएफसी को ज्यादा उधारी लागत का पूरी तरह सामना नहीं करना पड़ रहा है और वे दरों में ज्यादातर बढ़ोतरी को अपने अंतिम उपभोक्ता पर डालने में सक्षम हैं। लेकिन आगे चलकर स्थिति बदल सकती है।
इस बीच कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण पैदा हुए व्यवधानों के कारण मांग कम हुई और जोखिम से बचने की कवायद की गई। इसके चलते 2021-11 में एनबीएफसी की बैलेंस शीट धीमी गति से बढ़ी। साथ ही उन्हें बैंकों की ओर से भी विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है और खासकर खुदरा क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले वाहन ऋण और गोल्ड लोन के क्षेत्र पर इसका असर पड़ा है।

इन परिस्थितियों के बावजूद इन कर्जदाताओं ने मजबूत पूंजी बफर, पर्याप्त प्रावधान और पूंजी की मजबूत स्थिति बनाए रखी। एनबीएफसी सेक्टर की संपत्ति की गुणवत्ता सुधरी है क्योंकि 2022 में (मार्च के अंत तक) सकल गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और शुद्ध एनपीए में गिरावट आई है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2022 में एनबीएफसी का सकल एनपीए मार्च 2021 के 6 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत हो गया है। इसी अवधि के दौरान शुद्ध एनपीए 2.7 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत रह गया है।

कारोबार की स्थिति में सुधार आई है, वहीं एनपीए अपग्रेडेशन मानकों को रिजर्व बैंक द्वारा टाले जाने और बेहतर रिकवरी व नई अभिवृद्धि कम होने की वजह से एनपीए में इस अवधि के दौरान कमी आई है। प्रॉविजन कवरेज अनुपात (पीसीआर) में बढ़ोतरी हुई है और यह मार्च 2021 के 56.7 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2022 में 60.7 प्रतिशत हो गया है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे बढ़ती वापसी का पता चलता है। इस सेक्टर की संपत्ति की गुणवत्ता आगे सितंबर तक और सुधरी है। रिजर्व बैंक के आकलन के मुताबिक आगे इसमें सुधार जारी रहेगा।

रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘निकट भविष्य के हिसाब से एनबीएफसी की संपत्ति की गुणवत्ता में आगे और सुधार होने की उम्मीद है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। कड़ी नियामकीय निगरानी, संपत्ति की गुणवत्ता का वर्गीकरण नए सिरे से किए जाने और त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई के मानकों से आगे स्थिरता में और बढ़ोतरी होगी।’ इसमें कहा गया है, ‘नियामक मोर्चे पर स्केल आधारित नियमन से उम्मीद है कि एनबीएफसी में मजबूती आएगी और इस सेक्टर में स्वभाभाविक समेकन की संभावनाएं बढ़ेंगी।’ मुख्य रूप से फंड आधारित आमदनी में बदलाव के काऱण एनबीएफसी का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में सुधरा है। परिचालन व्यय में जहां तेज बढ़ोतरी हुई है, एनपीए के लिए प्रावधानों और बैंक कर्ज पर ब्याज का खर्च कम होने, इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स से शुद्ध मुनाफे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

First Published : December 28, 2022 | 12:17 AM IST