शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) ने दिए जाने वाले कर्ज में आवास ऋण की सीमा बढ़ाए जाने की मांग की है। अभी यूसीबी अपने कुल ऋण का 15 प्रतिशत ही आवास ऋण दे सकते हैं। बैंकों ने वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अलग ऋण सीमा तय किए जाने की भी मांग की है।
चुनिंदा शहरी बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों (CEOs) ने पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से मुलाकात की। बैंकों ने केंद्रीय बैंक से बुलेट रिपेमेंट स्कीम के तहत गोल्ड लोन की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की भी मांग की है। आवास ऋण के लिए मानक में बदलाव को लेकर नैशनल फेडरेशन आफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स ऐंड क्रेडिट सोसाइटीज (एनएएफसीयूबी) ने कहा कि व्यक्तिगत आवास ऋण की मौजूदा सीमा बड़े और मझोले शहरों के लिए दोगुनी कर दी गई है।
लेकिन हाउसिंग, रियल एस्टेट और वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज की अधिकतम सीमा 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं की गई है। इसकी वजह से ज्यादातर बैंकों को बढ़ी हुई व्यक्तिगत सीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि तमाम बैंकों का इस सेक्टर को दिए जाने वाले कर्ज की अधिकतम सीमा 5 प्रतिशत अतिरिक्त आवंटन के साथ पहले ही पूरी हो चुकी है।