पेंशन के मुद्दे पर भारतीय रिजर्व बैंक की कर्मचारियों के देशव्यापी हड़ताल की वजह से 50,00,000 करोड रुपये के परिचालन में ठहराव आ गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले पांच महीनों से लटके पेंशन के मुद्दे को लेकर रिजर्व बैंक के 2,500 से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी हडताल पर चले गए जिससे परिचालन पर बुरी तरह से असर पडा है।
रिजर्व बैंक के कर्मचारी और अधिकारी पेंशन संबंधी मुद्दे को लेकर एक बार फिर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ इस मामले को उठाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पेंशन का मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है और यह पिछले पांच महीनों से विवाद का मुद्दा बना हुआ है।
कर्मचारियों और अधिकारियों की देशव्यापी हड़ताल से पूरे भारत में 300,000 करोड रुपये के रियल टाइम सेटलमेंट और 18,00,000 चेकों के निपटारे पर बुरी तरह से असर पड़ा। घरेलू मुद्रा बाजार, फॉरेन एक्सचेंज बाजार और शेयर बाजार में किसी भी तरह का निपटान नहीं हो पाया।
यह दूसरी बार है जबकि रिजर्व बैंक के कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं। इससे पहले कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 21 अक्टूबर 2008 को हड़ताल पर थे। बैंक के कुछ सेवानिवृत कर्मचारी ने इस संबंध में कानूनी सलाह भी ली है और न्यायालय में मामला भी दायर किया है।
सूत्रों के उनसार इसी तरह केएक मामले के जबाव में रिजर्व बैंक ने न्यायालय को अवगत कराया है कि उसे पेंशन में सुधार को लेकर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मौजदा समय में इस बारे में कुछ भी कहना आसान नहीं होगा।
रिजर्व बैंक ने तर्क दिया कि इससे सरकार आदेश की अवहेलना हो सकती है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने वर्ष 2003 में 1997 से पहले सेवानिवृत हुए कर्मचारियों के लिए पेंशन में संसोधन किया जिससे उनका मूल पेंशन उस अवधि के मूल वेतनमान के अनुरूप हो गया।
यह फैसला रिजर्व बैंक की केंद्रीय समिति द्वारा केंद्र सरकार के नामांकिम सदस्यों के सामने लिया गया। रिजर्व बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों के यूनाइटेड फोरम द्वारा जारी किए गए प्रेस वकतव्य के अनुसार आरबीआई पेंशन फंड को कोई मदद नहीं मिल रहे हैं और यह खुद पर आत्मनिर्भर है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियां के लिए गठित पांचवे वेतन आयोग ने तर्क दिया कि रिजर्व बैंक जैसे स्वायत्त संस्थान के पास फंड की स्थिति के अनरूप एक अपनी पेंशन योजना होनी चाहिए।