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बैंकों के शेयरों ने लगाई ऊंची छलांग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 6:03 PM IST

अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण आई गिरावट दूर करने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख दरों में कटौती की घोषणा का सबसे ज्यादा फायदा बैंकिंग शेयरों को मिला है।


इसके अलावा सरकार द्वारा घोषित सहायता राशि का भी बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों के कारोबार पर बेहतर असर पडा है। बैंकेक्स 3.5 फीसदी की उछाल के साथ 5,674 अंकों पर बंद हुआ और सोमवार को तीसरे सबसे बड़े लाभ कमानेवाले शेयरों के रूप में उभरा है।

राहत पैकेज के बाद बैंकिंग शेयरों के कारोबार में आए उछाल पर ब्रिक्स सिक्योरिटीज में बैंकिंग विश्लेषक दीपक अग्रवाल का कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में आई इस तेजी का कारण निश्चित तौर पर सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के मकसद से उठाए गए कदम हैं।

अग्रवाल ने आगे कहा कि बैंकिंग क्षेत्रों का बेहतर प्रदर्शन उस समय तक जारी रहेगा जब तक सरकारी सिक्योरिटी पर मिलनेवाले मुनाफे का स्तर नीचे रहता है और इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि दस सालों के बॉन्ड में आगे और भी गिरावट आ सकती है और यह 4 फीसदी के स्तर तक पहुंच सकता है।

अग्रवाल ने यह भी कहा कि आरबीआई द्वारा डूबते कर्जों पर अस्थायी नियमों में कुछ ढ़ील देने से रुख सकारात्मक हुआ है और इस क्षेत्र के मौजूदा प्रदर्शन के अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक ऐसे ही जारी रहने के आसार हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि आनेवाले समय में सरकारी बैंकों का प्रदर्शन अपने प्रतिद्वंद्वी बैंकों से बेहतर रह सकता है क्योंकि आरबीआई की प्रमुख दरों में कटौती का एक लक्ष्य सरकारी बैंकों को ज्यादा से ज्यादा पूंजी उपलब्ध कराना है।

केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती से वित्तीय प्रणाली में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की नकद राशि का प्रवाह हो सकता है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो केंद्रीय बैंक के इस कदम से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं लगाए बैठे हैं।

मुंबई स्थित एक सिक्योरिटी फर्म के विश्लेषक का कहना है कि आरबीआई केइस कदम से बैंकों को शुरुआती तौर पर ही फायदा मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि एनपीए नियमों में ढील, अधिक तरलता और अपेक्षाकृत कम ब्याज दरों के लिए किए गए उपायों केबावजूद बैंकों के सामने छह महीने बाद इसी तरह की समस्या खड़ी हो सकती है।

विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में स्थिति में बदलाव आ सकता है क्योंकि महंगाई के स्तर के एक बार फिर से ऊपर जाने की आशंका जताई जा रही है।

First Published : January 6, 2009 | 9:00 PM IST