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RBI निजी बैंकों के बोर्डों के साथ 18 नवंबर को करेगा बैठक, गवर्नर दास के बताए गए 10 प्रमुख बिंदुओं पर होगी चर्चा

द्रीय बैंक पिछले साल के सम्मेलन में दास द्वारा बताए गए 10 प्रमुख बिंदुओं पर बात करेगा, साथ ही प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और ग्राहकों के संरक्षण के मसले पर भी विचार किया जाएगा

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रघु मोहन   
Last Updated- October 23, 2024 | 6:35 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी क्षेत्र के बैंकों के बोर्डों के साथ 18 नवंबर को मुंबई में बैठक बुलाई है। इसके बाद सरकारी बैंकों के साथ एक और बैठक होने की संभावना है।

अगले महीने होने वाली बैठक इस तरह की दूसरी बैठक होगी। इसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, सभी डिप्टी गवर्नर और नियमन विभाग, पर्यवेक्षण विभाग और प्रवर्तन विभाग के कार्यकारी निदेशक हिस्सा लेंगे।

इसके पहले सरकारी बैंकों और निजी बैंक के निदेशकों की कॉन्फ्रेंस 22 मई 2023 को नई दिल्ली और 29 मई, 2023 को मुंबई में आयोजित की गई थी।

इस बैठक का एजेंडा तय नहीं किया गया है। बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक पिछले साल के सम्मेलन में दास द्वारा बताए गए 10 प्रमुख बिंदुओं पर बात करेगा, साथ ही प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा और ग्राहकों के संरक्षण के मसले पर भी विचार किया जाएगा।

दस पहलुओं में 1. शासन और स्थिरता, 2. बोर्ड में अपेक्षित योग्यता और विशेषज्ञता, 3. उद्देश्यपूर्ण और स्वतंत्र बोर्ड, 4. अध्यक्ष, बोर्ड की समितियों और कॉर्नर रूम ऑक्यूपेंट्स की भूमिका, 5. कॉर्पोरेट संस्कृति और मूल्य प्रणाली, 6. सूचना की गुणवत्ता, 7. वरिष्ठ प्रबंधन की प्रभावी निगरानी, ​​8. बिजनेस मॉडल और आचरण, 9. वित्तीय विवरणों की प्रामाणिकता और पारदर्शिता और 10. एश्योरेंस कार्यों की स्वतंत्रता, जोखिम प्रबंधन, अनुपालन और आंतरिक लेखा परीक्षा शामिल हैं।

पिछले साल हुई बैठक के बाद समापन भाषण में दास ने कहा था कि बैंकिंग व्यवस्था की मजबूती, विश्वास का वातावरण, दीर्घकालीन स्थिरता और बैंकों की व्यावसायिक प्रामाणिकता उनके प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन पर निर्भर है।

प्रशासन ढांचे को नट और बोल्ट के एक जटिल जाल के रूप में चित्रित किया जा सकता है जो पूंजी, परिसंपत्तियों, जमा और निवेश के वित्तीय स्तंभों को अपने स्थान पर बनाए रखता है और बैंक की संरचना को सही रखता है। मजबूत प्रशासनिक ढांचे वाले बैंकों के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना कोई बाधा नहीं होगी क्योंकि वे गवर्नेंस प्रीमियम प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रीमियम बैंकों के शीर्ष नेतृत्त्व की गुणवत्ता पर निर्भर होगा।

पिछले साल की बैठक के पहले इस कदम को वित्त मंत्री की बजट घोषणा की दिशा में पहले कदम के रूप में देखा गया था। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024 के बजट में घोषणा की थी कि बैंकिंग सेक्टर में प्रशासन संबंधी सुधार और निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जरूरत है।

सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024 के बजट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट 1934, बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट 1949 और बैंकिंग कंपनीज (एक्विजिशन ऐंड ट्रांसफर ऑफ अंडरटेकिंग्स) ऐक्ट 1970 में संशोधन का भी प्रस्ताव किया था। आगामी बैठक में 11 जून, 2020 को जारी रिजर्व बैंक के ‘भारत में वाणिज्यिक बैंकों में प्रशासन पर चर्चा पत्र’ में उठाए गए मुद्दों पर ‘बेहतर किए जाने’ की उम्मीद है।

First Published : October 23, 2024 | 6:35 AM IST