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रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नियम सख्त किए

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:04 AM IST

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां यानि एनबीएफसी के लिए डिपॉजिट नियमों को सख्त करने की कवायद में रिजर्व बैंक ने उनसे न्यूनतम नेट-ओन्ड फंड को बढ़ाकर 2 करोड़ करने का निर्देश जारी किया है।


मालूम हो कि नेट-ओन्ड फंड के तहत इक्विटी, रिजर्व समेत अन्य प्रकार के फंड आते हैं। रिजर्व बैंक ने आगे अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि उन सारी वित्तीय कंपनियों के डिपॉजिट की निकासी पर रोक लगा दी जाएगी जिनके पास नेट-ओन्ड फंड 2 करोड़ से कम होगी।

रिजर्व बैंक ने नए निर्देश के मुताबिक परिसंपत्ति वित्तीय कंपनियां यानि एएफसी के लिए मिनिमन इंवेस्टमेंट ग्रेड क्रेडिट रेटिंग और पूंजी आधिक्य अनुपात यानी कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो को 12 फीसदी से नीचे लाकर अपने पब्लिक डिपॉजिट के स्तर को नेट-ओन्ड फंड के 1.5 गुना के स्तर पर लाना होगा।

लोन फर्मों समेत बाकी निवेश करने वाली कंपनियों से भी कहा गया है कि 31 मार्च 2009 तक वो अपने पब्लिक डिपॉजिटों के स्तर को अपने नेट-ओन्ड फंड के स्तर के बराबर करें। इसके अलावा वैसी कंपनियां जो एक खास स्तर तक के पब्लिक डिपॉजिट्स ले सकती हैं,लेकिन वो अब तक निर्धारित  निर्दिष्ट सीमा तक नही पहुंच सके हैं उन्हें संशोधित सीमा तक पब्लिक डिपॉजिट लेने की स्वीकृति रहेगी।

अपने कदम का वर्णन करते हुए रिजर्व बैंक का कहना है कि एनबीएफसी द्वारा स्वीकृत किए जाने वाले डिपॉजिट पर्याप्त रूप से कैपिटलाइज्ड होने चाहिए और यह काम नेट-ओन्ड नियमों के तहत अंजाम दिए जाने चाहिए। नियामक का कहना है कि अगर यह वित्तीय कंपनियां तय समय में इन नए मानकों को पूरा नहीं कर पाती हैं तो इसकी उन्हे कुछ और समय भी दिया जा सकता है लेकिन यह केस-टु-केस के आधार पर ही हल किया जाएगा।

First Published : June 18, 2008 | 10:27 PM IST