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सरकारी बैंक देंगे ज्यादा लाभांश!

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 8:18 PM IST

सिटीग्रुप और बैंक ऑफ अमेरिका ने अपने लाभांश भुगतान को कम कर दिया है। इसकी वजह यह है कि दुनियाभर में बैंकिंग सेक्टर को ऋण चूक (लोन डिफॉल्ट) से काफी झटका लगा है।
लेकिन भारत के सरकारी बैंकों को इस तरह की दिक्कतों का कोई सामना नहीं करना पड़ा है लेकिन वित्तीय वर्ष 2008-09 में लाभांश में कोई कमी नहीं हो सकती है या बेहद मामूली कटौती की संभावना हो सकती है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पहले से ही बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक ने पहली बार 30 और 20 फीसदी के अंतरिम लाभांश की शुरुआत कर दी है। कॉर्पोरेशन बैंक ने वर्ष 2007-08 में 105 फीसदी लाभांश का भुगतान किया है। इस बैंक ने भी 45 फीसदी के अंतरिम लाभांश की घोषणा की है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के बैंकिंग सेक्टर के एक विश्लेषक का कहना है कि दूसरे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ज्यादा लाभांश दे सकते हैं क्योंकि सरकार को वित्तीय लक्ष्यों और राजस्व में कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
लगभग 22 सूचीबद्ध सार्वजनिक बैंकों ने उधारी और गैर-उधारी गतिविधियों के जरिए बहुत ज्यादा मुनाफा बनाया है। खासतौर पिछले दिसंबर में खत्म हुई तिमाही के दौरान ट्रेजरी परिचालन के जरिए पैसा बनाया है।मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीने में 22 सरकारी बैंकों ने 25,096 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है। उन्हें उम्मीद है कि चौथी तिमाही में इस मुनाफे में और बढ़ोतरी होगी।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह उम्मीद की जाती है कि इन सार्वजनिक बैंकों से मिलने वाला लाभांश ज्यादा होगा। वर्ष 2007-08 में 22 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 18.55 फीसदी औसत भुगतान की दर से 4,570 करोड़ रुपये का लाभांश दिया। ये सभी बैंक पिछले साल के हिसाब से भुगतान करें तो इस साल यह 5,671 करोड़ रुपये होने की संभावना है।
कम भुगतान के अनुपात को पसंद किया जाता है क्योंकि कंपनी के पास लाभांश भुगतान की एक दलील होती है। सरकार ने पहले भी सार्वजनिक क्षेत्र को अपने शुद्ध मुनाफे का 20 से 30 फीसदी लाभांश के तौर पर देने के लिए कहा है।
अगर ये सभी बैंक अपने लाभांश को बनाए रखते हैं और निवेशक उनके शेयर को मौजूदा मूल्य पर खरीदते हैं तो 8 फ ीसदी सालाना रिटर्न की संभावना बन सकती है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एक बैंकिंग विश्लेषक का कहना है कि फिलहाल मुद्रा बाजार के म्युचुअल फंड, छोटी अवधि के डेट फंड और एक साल के बैंक जमा, 5-7 फीसदी के दायरे में रिटर्न का ऑफर देते हैं।
अभी बाजार में अस्थिरता का दौर चल रहा है ऐसे में यही सलाह दी जाती है कि किसी को भी उन कंपनियों के शेयर खरीदने चाहिए जिससे ज्यादा मुनाफा मिले। लाभांश प्रति शेयर के हिसाब से तय होता है और यह किसी शेयर के बाजार मूल्य पर आधारित होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक ऐसा मानक है जिससे किसी शेयर की वैल्यू तय की जाती है ताकि लोग उसे खरीदने के बारे में सोचे। जब बाजार में गिरावट का दौर चल रहा होता है तब लाभांश की रणनीति से ही शेयर का प्रदर्शन तय होता है।

First Published : March 17, 2009 | 10:17 PM IST