भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से की गई सीआरआर में 1.5 फीसदी की कटौती का बैंकिंग क्षेत्र ने जोरदार स्वागत किया है।
इस कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 60,000 करोड़ रुपये सिस्टम में आ सकेंगे जो तरलता की तंगी से जूझ रहे बैंकों को राहत पहुंचाएंगे। पंजाब नैशनल बैंक के कार्यकारी निदेशक जे एम गर्ग ने कहा कि सीआरआर में की गई कटौती के बाद अब ब्याज दरों में कटौती से इंकार नहीं किया जा सकता।
सीआरआर की राशि जारी होने पर ऋण परिचालन भी उसी मात्रा में बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल नकदी प्रमुख समस्या है इसलिए बेंचमार्क की दरें आने वाले दिनों में और घट सकती है। इस बारे में बैंक आफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऐलेन सी ए परेरा ने कहा, सीआरआर में हुई 1. 5 फीसदी की कटौती से बैंकिंग प्रणाली में करीब 60, 000 करोड़ रुपये डाले जाएंगे जिससे ब्याज दरों में कमी आ सकती है।
उन्होंने कहा कि ऋण और जमा दोनों की दरों में कमी आ सकती है। इंडियन ओवरसीज बैंक के अध्यक्ष एस ए भट्ट ने एक टेलीविजन चैनल पर कहा, यह चिंताजनक है कि हमारे ग्राहक उच्च ब्याज दरों के कारण अपनी योजनाएं टाल रहे हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि दरों में कटौती फिलहाल मुश्किल लगती है।
एचडीएफसी बैंक के अभीक बरुआ ने इस बारे में बताया कि रिजर्व बैक ने यह कदम बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए उठाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हालिया कटौती के बाद रुपये की स्थिति डॉलर के मुकाबले मजबूत होगी।
हालांकि उन्हें सीआरआर से अधिक एसएलआर में कटौती की उम्मीद थी। यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा वाव ने बताया कि रिजर्व बैंक से इसी तरह की कटौती की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि अभी रिजर्व बैंक से और इस तरह के कदम उठाए जाने की उम्मीद है। हालांकि घरेलू बाजार में कोई गंभीर स्थिति निर्मित नहीं हुई है।
रिजर्व बैंक के पास अभी सीआरआर में कटौती, दरों में कटौती और एमएसएस को अनवाइंड करने और विदेशी मुद्रा के भंडार के उपयोग करने के विकल्प मौजूद हैं। बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर टीएस नारायणस्वामी ने बताया कि रिजर्व बैंक द्वारा हाल में उठाए गए कदम से तरलता की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं होगा लेकिन पूंजी का लगातार बाहर जाना और तरलता प्रमुख चिंता की वजह बनी रहेगी।
हालांकि जमा दरों पर बना दबाव अब आसान होगा। लेकिन कर्ज की दरें कम नहीं होंगी क्योंकि बैंके अपने पास तरलता रखना चाहती है। हालांकि उन्हें नहीं लगता कि हालिया कटौती के बाद क्रेडिट ग्रोथ पा सकेंगी या फिर इसका मुद्रास्फीति पर कोई असर पड़ने वाला है।
कोटक महिंद्रा बैंक के खजांची मोहन शेनॉय ने इस बारे में बताया कि सीआरआर कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 600 अरब रुपये आ सकेंगे। इससे वित्त बाजार में हाल में मची उपापोह थम जाएगी। हालांकि उन्हें नहीं लगता एसएलआर दर में कटौती की कोई दरकार है। इसके साथ रेपो रेट में कटौती की भी जरूरत नहीं है क्योंकि समय की मांग तरलता प्रबंधन है।
आरआई ने सीआरआर में आज की गई एक फीसदी की कटौती से सिर्फ चार दिन पहले ही इसमें 0.5 फीसदी की कटौती का निर्णय लिया था। सीआरआर में 1.5 फीसदी की कुल कटौती की जा चुकी है। पिछले दिनों विश्व में कई देशों की केंद्रीय बैंकों ने दरों में कटौती का निर्णय लिया था। इनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व, यूरोपीयन सेंट्रल बैंक और बैंक आफ इंग्लैंड शामिल हैं।
आरबीआई ने यहां एक बयान में कहा, वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों के परिप्रेक्ष्य में नकदी की स्थिति की समीक्षा के बाद सीआरआर में पहले घोषित 50 आधार अंकों की कटौती की बजाय 150 आधार अंकों की कटौती कर इसे 7. 50 फीसदी करने का निर्णय किया गया जो 11 अक्तूबर, 2008 से प्रभावी होगी।