ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी ने कहा कि बैंकों के लिए कुछ ऐसे क्षेत्र लाभदायक नहीं है, जहां बैंकों के लिए काम करना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि बैंक अपना लक्ष्य पूरा करने हेतु प्राथमिकता वाले क्षेत्र के कर्ज प्रमाणपत्र की हर खरीद पर 900 करोड़ रुपये खर्च करता है। वित्तीय सेवा सचिव ने एक दिन पहले वित्तीय समावेशन में निजी क्षेत्र के बैंकों की सुस्ती का उल्लेख किया था, उसके बाद ऐक्सिस बैंक के प्रमुख का यह बयान आया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के मानकों के मुताबिक बैंक के समायोजित शुद्ध ऋण का 40 प्रतिशत प्राथमिकता वाले क्षेत्र को दिया जाना चाहिए, जिसमें कृषि और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम शामिल हैं।
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में चौधरी ने कहा, ‘वे बैंकों से बहुत सा ऐसा काम करने को कहते हैं, जहां हमें फायदा नहीं है। ऐसे में वे समझते हैं कि हमें कुछ ऐसा करने की अनुमति दी जाए, जहां लाभ हो और उन क्षेत्रों में काम किया जा सके, जहां हमें मुनाफा नहीं होता है।’
उन्होंने कहा, ‘हमें 40 प्रतिशत पीएसएल की जरूरत होती है, जिसमें 15 उपखंड हैं। उनमें से बहुत से क्षेत्रों में आमदनी नहीं होती है। ऐक्सिस बैंक की स्थिति देखें तो हमने अपनी पीएसके उधारी की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर साल पीएसएल प्रमाणपत्र खरीदने पर 900 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह कोई छोटी रकम नहीं है।’
पिछले शुक्रवार को इंडियन बैंक एसोसिएशन की सालाना आम बैठक में वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा ने कहा था कि पीएम जनधन योजना के तहत खाते खोलने में निजी बैंकों की हिस्सेदारी सिर्फ 3 प्रतिशत, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और पीएम सुरक्षा बीमा योजना में 4 प्रतिशत, अटल पेंशन योजना और किसान क्रेडिट कार्ड में 7-7 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
ऐक्सिस बैंक के प्रमुख ने यह भी कहा कि बैंक ‘भुगतान में पैसा नहीं कमा सकते’ क्योंकि सरकार ने भुगतान व्यवसाय से ‘पूरे लाभ व हानि का अवसर’ छीन लिया है। उन्होंने कहा, ‘आप पेमेंट्स को प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल करते हैं और पैसे कहीं और से कमाने होते हैं। चिंता की बात यह है कि यह और ज्यादा उभरेंगे और ये आमदनी और लाभप्रदता से दूर ले जाएंगे और फिर आपको कहीं और से संपत्ति ढूंढनी होगी। संपत्ति पूल सिकुड़ने लगा है और ऐसे में मेरी चिंता यह है कि केवल बड़े बच पाएंगे। छोटे संघर्ष करेंगे।’