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एनबीसीएफ सी को नहीं मिल रहे ग्राहक, मुसीबतें जारी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 7:05 AM IST

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)के लिए मुसीबत थमने का नाम नहीं ले रही है। पहले से ही वित्तीय संकट का समाना कर रही इन कंपनियों को कोई लेनदार नहीं मिल रहा है।


बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने से एनबीएफसी के पास अब लोग कर्ज लेने नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि उनके एएए -रेटेड पेपर्स केलिए भी कोई कर्ज लेने के लिए नहीं आ रहा है।

इसके परिणामस्वप कंपनियों ने कहा कि उनकी उधार की दर पहले की तरह ही अधिक रहेगी, हालांकि उद्योग जगत में दरों में कमी का दौर चल रहा है।

उधार की दर अधिक होने से इन कंपनियों केमार्जिन पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस कॉर्पोरेशन के कंपनी प्रबंधक और प्रबंध निदेशक आर श्रीधर ने कहा कि व्यवसायिक पत्रों (सीपी)से होनेवाला कारोबार दम तोड़ता नजर आ रहा है क्योंकि सबसे ज्यादा कारोबार करनेवाली म्युचुअल फंड कंपनियां रिडिंशन के दबाव तले कराहती नजर आ रही है।

इसी तरह केहालात एनसीडी (नॉन कंभर्टिबल डिबेंचर्स) केलिए हो भी गए हैं क्योंकि बैंकों द्वारा अपनी ब्याज दरों में कमी करने से इनकेपास कर्ज केलिए बहुत कम लोग आ रहे हैं।

श्रीधर ने कहा कि जहां तक परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण की बात है तो बाजार नियामक सेबी द्वारा इस संबंध में मौजूदा दिशानिर्देशों में संशोधन किए जाने के बाद से इनमें काफी कमी आ गई है।

रिलायंस कैपिटल के सीईओ के साम घोष ने कहा कि फिलहाल फंड मुहैया करानेवाले कोई भी स्त्रोत नजर नहीं आ रहे हैं और आनेवाले समय में क्रेडिट की आवश्यकताओं की पूर्ति करने केलिए हम बैंकों से उम्मीद लगाए बैठे हैं।

गौरतलब है कि एनबीएफसी के लिए फंड जुटाने के चार प्रमुख स्त्रोत हैं, इनमें नॉन-कन्वटर्बल डिबेंचर्स (एनडीसी), बैंकों से सावधि ऋण, लघु अवधि के व्यवसायिक पत्र (सीपी)और परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण प्रमुख हैं। इन चारों प्रमुख स्त्रोतों के जरिए अब एनबीएफ सी के लिए फंड जुटाना असाान नहीं रह गया है।

First Published : December 4, 2008 | 9:09 PM IST