आंध्रा बैंक के सीएमडी के रामकृष्णन कहते हैं कि मौजूदा बढ़ती महंगाई और बढ़त ब्याज दरों से उत्पन्न हुई स्थितियों से उबरने में बैंक सफल रहेंगे।
इससे पार पाने के लिए बैंक के पास जमा दर, पीएलआर बढ़ाने के साथ साथ लो-कॉस्ट डिपॉजिट जुटाने का भी विकल्प है। प्रशांत रेड्डी को दिए साक्षात्कार में रामकृष्णन ने कहा कि बैंकों को अपनी शुल्क आधारित आय बढ़ानी चाहिए, अपनी लागत पर अंकुश रखना चाहिए और रेवन्यू लीकेज रोकना चाहिए। पेश है उनसे बातचीत का ब्यौरा:-
बढ़ती महंगाई और बढती ब्याज दरों के माहौल में बैंकों को क्या करना चाहिए?
ब्याज दरों में इजाफे के पीछे महंगाई दर का बढ़ना है जो तेल की बढ़ती कीमतों के कारण ज्यादा हो रही हैं। मांग वाले पक्ष की बात करें तो इस पर आरबीआई जरूरी कदम ले रहा है जबकि आपूर्ति वाले पक्ष के लिए सरकार भी जरूरी कदम उठा रही है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती बैंकों के लिए खड़ी हो रही है। खासकर यह साल बैंकों के लिए खासा चुनौती भरा होने जा रहा है।
लिहाजा क्रेडिट की फंडिंग के लिए बैंकों को स्रोतों को लगातार जुटाने की जरूरत है। और मौजूदा दौर में जबकि तरलता पर सख्ती बरती जा रही है तो लिहाजा जरूरत इस बात की है कि एक प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर डिपॉजिटों को आकर्षित किया जाए। लिहाजा आगे आने वाले महीनों में बैंकों को चाहिए कि वो डिपॉजिट दरों और पीएलआर दरों में इजाफा करते रहें।
आपको नही लगता कि इस प्रकार के उपायों से बैंक के मार्जिन पर प्रभाव पड़ेगा?
जी हां, डिपोजिट दरों में इजाफे से मार्जिन पर निश्चित तौर पर दवाब पड़ेगा। लेकिन इससे निपटने का तरीका यह है कि बैंक लो-कॉस्ट डिपोजिटों पर ज्यादा ध्यान कंद्रित करें। इसके अलावा बैंकों को चाहिए कि वो बल्क डिपॉजिटों को कम कर उसकी जगह कम लागत वाले रिटेल डिपोजिटों को बढ़ावा दें। इसके अलावा पीएलआर से नीचे की दरों पर कर्जों को पीएलआर के नजदीक लाना चाहिए।
इसी तरह बैंकों को शुल्क आधारित इनकम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जैसे म्युचुअल फंड और बीमा उत्पाद आदि। साथ ही साथ क्रेडिट पोर्टफोलियो भी प्रूडेंशियल रिकवरी नॉम्स पर आधारित होनी चाहिए। इसके अलावा लागत को काबू करने से लेकर रेवेन्यू लिकेज से बचा जाना चाहिए। लिहाजा बैंक इन सब रणनीतियों को अगर के न्द्रित कर लागू करते हैं तो इस मुश्किल भरे दौर से निकला जा सकता है।
आंध्रा बैंक की फंड जरूरतों को पूरा करने के लिए आपके द्वारा 12 करोड़ 50 लाख डॉलर से ज्यादा के विदेशी कर्ज वाले प्रस्ताव का क्या हुआ?
यह प्रक्रिया पूरी होने के अंतिम चरण में है।
क्या आप टियर-2 कैपिटल भी जुटा रहे हैं?
नही अभी तुरंत तो नही जुटा रहे हैं क्योंकि अभी तुरंत इसकी हमें जरूरत नही है। क्योंकि किसी भी प्रकार के रिसोर्स जुटाने के अपनी लागत होती हैं। लिहाजा जब तक स्थानांतरण के लिए किसी प्रकार के प्रॉफिटेबल एवेन्यू न हो किसी को नही चाहिए कि वो पूंजी जुटाए।
पिछले साल आपने मार्क -टू-मार्केट घाटे के लिए कुल 47 करोड़ रुपये प्रदान किया था इस साल के लिए यह रकम कितनी है?
अभी इस बात का जिक्र करना काफी जल्दबाजी होगी क्योंकि सेंसेक्स में गिरावट और इसके नतीजों का बैंकों के इक्विटी पोर्टफोलियो पर अपना प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा बढ़ते यील्ड्स का भी बैंकों के प्रदर्शन पर असर पड़ता है।
मौजूदा वक्त में क्रेडिट पिक अप कितना है?
पहली तिमाही में हमने कुल 23 फीसदी का इजाफा दर्ज किया था। जबकि पूरे बैंकिंग सिस्टम की बात करें तो पूर्ण स्तर पर बैंकों ने कुल 25 फीसदी का इजाफा दर्ज किया है। रिजर्व बैंक हालांकि 20 फीसदी का विकास चाहता था। लिहाजा यह शुभ संकेत है कि सभी बैंकों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
एमबीए में गोल्ड मेडल पाने के बाद बैंकिंग को बतौर करियर चुनने से आप खुश हैं?
इस इंडस्ट्री की सबसे संतोषजनक बात यह है कि आप अपने ग्राहकों से बातचीत कर सकते हो बल्कि आप सीधे तौर पर उनकी मदद भी कर सकते हो।