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निगरानी के दायरे में लाएं बैंक शुल्क, KYC अपडेट न होने पर अकाउंट बंद करना ठीक नहीं

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मनोजित साहा   
Last Updated- June 05, 2023 | 11:31 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों के उपभोक्ता सेवा मानकों की समीक्षा के लिए गठित समिति ने कहा कि बैंकों व नियमन के दायरे में आने वाली अन्य इकाइयों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क की तार्किकता भी निगरानी के दायरे में लाई जानी चाहिए।

इस समिति के अध्यक्ष रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो हैं। अन्य सिफारिश में समिति ने कहा है कि बैंकों को अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) मानदंड अपडेट नहीं करने के लिए किसी खाते का संचालन बंद नहीं करना चाहिए। सिफारिश यह भी है कि उधारी लेने वाले की संपत्ति के दस्तावेज वापस करने में देरी करने पर नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि नियमन के दायरे में आने वाली इकाइय़ों को उधार लेने वाले के जोखिम के वर्गीकरण का सूक्ष्म दृष्टिकोण होना चाहिए।नियमन के दायरे में आने वाली संस्थाओं के आंतरिक लोकपाल के असर को बढ़ाने के लिए समिति ने सिफारिश की है कि लोकपाल के वेतन आदि के भुगतान के लिए रिजर्व बैंक, इंडियन बैंक एसोसिएशन को कोष स्थापित करने को प्रेरित कर सकता है। थर्ड पार्टी उत्पादों की सेल्स टीम द्वारा क्रॉस सेलिंग को ऑडिट और सत्यापन के दायरे में होना चाहिए।

First Published : June 5, 2023 | 11:20 PM IST