विधानसभा चुनाव

J&K Elections 2024: उमर अब्दुल्ला दूसरी बार संभालेंगे जम्मू-कश्मीर की कमान, केंद्र सरकार के प्रति जाहिर किया रुख

महज चार महीने पहले ही उमर को लोकसभा चुनाव में बारामूला में शेख अब्दुल राशिद के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था मगर विधान सभा चुनाव में उन्होंने बाजी मार ली।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- October 08, 2024 | 11:07 PM IST

विधान सभा चुनाव में परचम लहराने के बाद उमर अब्दुल्ला दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री का सिंहासन संभालने जा रहे हैं। महज चार महीने पहले ही उमर को लोकसभा चुनाव में बारामूला में शेख अब्दुल राशिद के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था मगर विधान सभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बाजी फिर उनके (उमर) हाथ में आ गई है।

इससे पहले वर्ष 2009 में उमर ने जम्मू-कश्मीर की कमान संभाली थी और राज्य (अब केंद्र शासित राज्य) के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का खिताब अपने नाम कर लिया था। अब्दुल्ला ने कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था और उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार सत्ता में थी।

अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। बदले हालात में उमर को सरकार चलाने के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ कदम-कदम पर तालमेल बैठाना होगा।

54 वर्ष के हो चुके उमर अंतिम परिणाम आने से पहले ही आगे पेश आने वाली चुनौतियां भांप गए थे। उन्होंने एक टेलीविजन चैनल से कहा कि केंद्र सरकार के साथ मतभेद रखने से जम्मू-कश्मीर का भला नहीं होगा।

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री एक आदरणीय व्यक्ति हैं। उन्होंने लोगों से जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा देने का वादा किया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।’

जम्मू-कश्मीर की कुल 90 विधान सभा सीटों में उमर की पार्टी नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को 42 सीट मिली हैं। एनसी और कांग्रेस गठबंधन को कुल 49 सीट हासिल हुई हैं। इस गठबंधन में माकपा भी शामिल है।

इस साल के विधान सभा चुनाव ने उमर को कई मायनों में एक नई पहचान दी है। लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद विधान सभा चुनाव में उन्होंने दो सीट (बडगाम और गांदरबल) पर चुनाव लड़ा और दोनों पर ही उन्हें क्रमशः 18,000 और 10,000 मतों से जीत मिली। उनके पिता फारूक अब्दुल्ला अब राजनीति से संन्यास लेने की तैयारी में है, ऐसे में अब एनसी को जीत दिलाने के बाद उमर की अपनी भी एक खास पहचान बन गई है।

उमर तीन बार (1998, 1999 और 2004 में) लोकसभा के सांसद रह चुके हैं और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में वह कनिष्ठ मंत्री भी थे। 2008 के अंत में हुए चुनाव में उमर गांदरबल से जीते और एनसी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। वह 38 वर्ष की उम्र में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।

मंगलवार को एनसी की जीत के बाद उमर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उनकी पार्टी को मिटाने की कई कोशिशें हो चुकी हैं।

उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में कई राजनीतिक दल बने मगर उन सभी का लक्ष्य एनसी को दरकिनार करना था। मगर ऊपर वाला हमारे साथ था। जिन्होंने हमें बरबाद करने की कोशिश की वे खुद मिट गए।’

उमर ने कहा कि लोगों ने उन्हें एवं उनकी पार्टी को नई जिम्मेदारी दी है और उसे पूरा करना उनका कर्तव्य है। उन्होंने कहा, ‘अगले पांच वर्षों में लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में वह कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’

First Published : October 8, 2024 | 11:07 PM IST