केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल ने बुधवार को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने फैसला किया कि विधानसभा चुनाव में निर्वाचित हुए सभी सांसद संसद की सदस्यता से इस्तीफा देंगे। इस महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के साथ ही स्पष्ट संकेत मिले हैं कि इस्तीफा देने वाले सांसद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की भावी सरकार में शामिल होंगे।
इस कदम से यह विचार भी पैदा हुआ है कि पार्टी नेतृत्व तीनों राज्यों में नए चेहरों को मुख्यमंत्री के पद पर मौका दे सकता है। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ दसों सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की।
इसके बाद सांसदों ने अपने-अपने इस्तीफे सौंपे और फिर सभी ने संसद भवन परिसर स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
इस्तीफा देने वाले 10 सांसदों में तोमर और पटेल के अलावा जबलपुर के सांसद राकेश सिंह, सीधी की सांसद रीती पाठक, होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह, राजस्थान के राजसमंद की सांसद दीया कुमारी, जयपुर के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा, छत्तीसगढ़ के अरुण साव और गोमती साय शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ और केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह भी जल्द संसद की सदस्यता से इस्तीफा देंगे। संसद की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद तीनों केंद्रीय मंत्रियों को औपचारिकता के तहत केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देना होगा।
उनके संभावित इस्तीफे की स्थिति में एक नई चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपनी मंत्रिपरिषद में नए सदस्यों को शामिल करेंगे। संगठन के अनुभवी नेता तोमर और राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले पटेल को मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के साथ मुख्यमंत्री पद की संभावित पसंद के रूप में देखा जा रहा है।
राजस्थान के नए मुख्यमंत्री लेकर पार्टी में अटकलें हैं कि शीर्ष नेतृत्व तीन में किसी एक निवर्तमान सांसद को यह जिम्मेदारी सौंप सकता है। तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम तय करने में सामाजिक समीकरण से जुड़े राजनीतिक कारक महत्त्वपूर्ण होंगे।