चुनाव

मुफ्त योजनाओं पर ‘सर्वोच्च’ सवाल

'दुर्भाग्यवश, चुनाव से ठीक पहले घोषित की जाने वाली 'लाडकी बहिन' जैसी मुफ्त की योजनाओं के कारण लोग काम करने के लिए तैयार नहीं हैं।'

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- February 12, 2025 | 10:09 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने चुनावों से पहले ‘मुफ्त चीजें’ देने के राजनीतिक दलों के वादों की बुधवार को कड़ी आलोचना की और कहा कि राष्ट्रीय विकास के लिए लोगों को मुख्यधारा में लाने के बजाय ऐसी योजनाओं से क्या हम परजीवियों का एक वर्ग तैयार नहीं कर रहे हैं। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के पीठ ने कहा कि बेहतर होगा कि लोगों को समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाकर राष्ट्रीय विकास में योगदान दिया जाए। मुफ्त योजनाओं से समाज पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को रेखांकित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश, चुनाव से ठीक पहले घोषित की जाने वाली ‘लाडकी बहिन’ जैसी मुफ्त की योजनाओं के कारण लोग काम करने के लिए तैयार नहीं हैं।’

न्यायालय शहरी क्षेत्रों में बेघर व्यक्तियों के आश्रय के अधिकार से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। अदालत ने कहा कि लोगों को बिना काम किए मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है। पीठ ने पूछा, ‘हम उनके प्रति आपकी चिंता की सराहना करते हैं, लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए और राष्ट्र के विकास में योगदान करने का मौका दिया जाए?’

याचियों में से एक की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि देश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो काम न करना चाहे, यदि उसके पास काम हो। न्यायाधीश ने कहा, ‘आपको केवल एकतरफा जानकारी है। मैं एक कृषक परिवार से आता हूं। महाराष्ट्र में चुनाव से पहले घोषित मुफ्त सुविधाओं के कारण किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे।’ हालांकि, अदालत ने कहा कि वह बहस नहीं करना चाहती। न्यायालय ने कहा कि अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी समेत सभी लोग इस बात पर एकमत हैं कि बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करने पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए। पीठ ने पूछा, ‘लेकिन साथ ही, क्या इसे संतुलित नहीं किया जाना चाहिए?’

First Published : February 12, 2025 | 10:09 PM IST