मिजोरम चुनाव

Mizoram Election Analysis: मिजोरम में परंपरा तोड़ेंगे अगले मुख्यमंत्री लालदुहोमा

वर्ष 1977 बैच के आईपीएस अ​धिकारी लालदुहोमा ने सक्रिय राजनीति में आने के लिए पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 1984 में लुंगलेई से अपना पहला विधानसभा चुनाव हार गए।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- December 04, 2023 | 11:44 PM IST

मिजोरम के अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे लालदुहोमा बहुमुखी प्रतिभा वाले इंसान हैं। मिजोरम विधानसभा की वेबसाइट पर मौजूद उनके परिचय के अनुसार 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा दस्ते में तैनात रहे 74 वर्षीय पूर्व आईपीएस अ​धिकारी लालदुहोमा ने कृ​षि को अपना पेशा बताया है और शै​क्षिक योग्यता में वि​शिष्टता के साथ स्नातक (बीए) दर्ज किया है। परंतु, अपनी पार्टी जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार लालदुहोमा के साथ कई अन्य अनचाहे रिकॉर्ड भी जुड़े हैं। अपने राजनीतिक करियर में दलबदल विरोधी कानून के तहत दो बार अयोग्य ठहराए जाने वाले वह अकेले जनप्रति​धि हैं।

दलबदल विरोधी कानून वर्ष 1985 में लागू हुआ ​था और इसके तहत 1988 में अयोग्य ठहराए जाने वाले वह पहले सांसद बन गए। इसके बाद मिजोरम विधानसभा के विधायक के तौर पर 2020 में उन्हें दोबारा इस कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया। ऐसी सजा पाने वाले मिजोरम विधानसभा के भी वह पहले विधायक हुए।

वर्ष 1977 बैच के आईपीएस अ​धिकारी लालदुहोमा ने सक्रिय राजनीति में आने के लिए पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 1984 में लुंगलेई से अपना पहला विधानसभा चुनाव हार गए। हालांकि उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मिजोरम संसदीय सीट से वह निर्विरोध निर्वाचित हुए।

उन्होंने 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला के ​खिलाफ साजिश के आरोप लगने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में उन्होंने पार्टी भी छोड़ दी और 1987 एवं 1989 का विधानसभा चुनाव चंम्फाई से जोरमथंगा के ​खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा।

हालांकि, दोनों ही बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 1997 में वह जोरम नैशनलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए और 2003 में हुए चुनाव में रातू सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2018 में लालदुहोमा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला को सेरछिप सीट से 410 वोटों से हराया।

सत्ताधारी मिजो नैशनल फ्रंट (एमएनएफ) के 12 विधायकों ने वर्ष 2020 में लालदुहोमा पर पाला बदलते हुए जेडपीएम में शामिल होने का आरोप लगाया, जबकि वह निर्दलीय जीते थे। अंतत: दोषी पाते हुए उन्हें अयोग्य ठहराया गया और उन्हें अपनी सीट छोड़नी पड़ी। इसके बाद 2021 में हुए उपचुनाव में सेरछिप सीट से वह दोबारा जीत गए।

वह एक बार एमएनएफ का हिस्सा भी रहे। वर्ष 1989 से 2018 तक ललथनहवला और जोरमथंगा बारी-बारी से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते आ रहे हैं, लेकिन तीन दशकों से चली आ रही यह परंपरा तोड़ते हुए लालदुहोमा अब राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं।

First Published : December 4, 2023 | 10:01 PM IST