निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि प्रवर्तन एजेंसियों ने 4,658.16 करोड़ रुपये मूल्य के नशीले पदार्थ, शराब, नकद, बहुमूल्य धातु एवं मतदाताओं को लुभाने वाली अन्य वस्तुएं जब्त की हैं। 1 मार्च से लेकर अब तक पिछले 45 दिनों के भीतर रोजाना औसतन 100 करोड़ रुपये की जब्ती की गई है। यह पिछले लोक सभा चुनाव के दौरान कुल 3,475 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती से 34 फीसदी अधिक है और पिछले 75 वर्षों में सर्वाधिक है।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सबसे चिंतनीय है कि 2,068.85 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं, जिनकी कुल जब्ती में 45 फीसदी हिस्सेदारी है। एजेंसियों ने 2,068.85 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की हैं, जबकि साल 2019 में 1,279.9 करोड़ रुपये की जब्त की गई थीं और जब्त किए गए मुफ्त सामान का मूल्य 1,142.19 करोड़ रुपये है, जो साल 2019 में 60.15 करोड़ रुपये था।
मार्च में चुनावों की आधिकारिक घोषणा से पहले जनवरी और फरवरी के दौरान 7,502 करोड़ रुपये की जब्ती की गई थी। निर्वाचन आयोग ने कहा कि नशीली दवाओं की बरामदगी पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया था, जो जनवरी और फरवरी में कुल बरामदगी का 75 फीसदी था। निर्वाचन आयोग ने कहा कि जनवरी से लेकर अब तक कुल 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई है।
अब तक करीब 395.5 करोड़ रुपये नकद जब्त किए जा चुके हैं। साल 2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान एजेंसियों ने कुल 844 करोड़ रुपये नकद जब्त किए थे। आयोग ने कहा, ‘लोक सभा चुनावों को प्रलोभन और कदाचार मुक्त कराने के निर्वाचन आयोग के संकल्प में नकदी जब्त करना एक जरूरी कदम है। प्रलोभन मुक्त चुनाव कराना के लिए कड़ाई, निगरानी और जांच पर अधिक विचार-विमर्श किया जाता है।’
अब तक 35 करोड़ लीटर से अधिक की शराब जब्त की गई है, जिसका मूल्य 489.3 करोड़ रुपये है। पिछली बार लोक सभा चुनावों के दौरान 304.6 करोड़ रुपये मूल्य की शराब जब्त की गई थी। एजेंसियों ने 562.1 करोड़ रुपये की बहुमूल्य धातुएं जब्त की हैं, जबकि साल 2019 में जब्त की गई बहुमूल्य धातुओं की कीमत 987.11 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
राज्यवार आंकड़ों पर गौर करें तो 13 अप्रैल तक राजस्थान से सर्वाधिक 778.5 करोड़ रुपये की जब्ती की गई है। उसके बाद गुजरात 605.33 करोड़ रुपये, तमिलनाडु 460.8 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र 431.3 करोड़ रुपये और पंजाब 311.8 करोड़ रुपये का स्थान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से करीब 236 करोड़ रुपये की वस्तुएं और नकदी जब्त की गई है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसने कर्तव्य में ढिलाई बरतने और तमिलनाडु के नीलगिरि निर्वाचन क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के काफिले की जांच में कोताही करने वाली उड़न दस्ता दल के प्रमुख को निलंबित कर दिया है। उसने कहा, ‘इसी तरह अधिकारियों ने एक राज्य के मुख्यमंत्री के काफिले में वाहनों की जांच की और दूसरे राज्य के उप मुख्यमंत्री के वाहन की भी जांच की है।’
साथ ही कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार में नेताओं की सहायता करने वाले और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन के दोषी पाए गए 106 सरकारी अधिकारियों पर गाज गिरी है।
निर्वाचन आयोग ने सूत्रों ने यह भी बताया कि हेलीकॉप्टरों की जांच में कुछ भी नया नहीं है। इसी तरह की जांच तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी के हेलीकॉप्टर की भी की गई थी। चुनावों से पहले सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को हवाई क्षेत्रों और हेली पैडों की कड़ी निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि इस तरह की तलाशी देश भर में सरकारी और निजी दोनों हवाई क्षेत्रों में की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी प्रलोभन सामग्री हवाई मार्ग के जरिये भी नहीं लाई जा सके।
निर्वाचन आयोग की सहायता करने वाली एजेंसियों में आयकर विभाग, राज्य पुलिस, भारतीय रिजर्व बैंक, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, डाक विभाग, राज्य उत्पाद शुल्क, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सीमा सुरक्षा बल और अन्य शामिल हैं।