100 साल पहले भारत के अमीर लोगों के पास देश की कुल इनकम का जितना हिस्सा होता था मौजूदा समय में यह शेयर पहले से कहीं बहुत ज्यादा हो गया है। वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब की एक स्टडी के अनुसार, टॉप 1% भारतीयों की अब नेशनल इनकम में 22.6% हिस्सेदारी है, जबकि सबसे गरीब 50% आबादी केवल 15% कमाती है।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, भारत में आय और धन असमानता 1992-2023 के बीच बढ़ी है। यह स्टडी, “भारत में आय और धन असमानता 1992-2023: द राइज ऑफ द बिलियनेयर राज,” नितिन कुमार भारती, हार्वर्ड केनेडी स्कूल के लुकास चांसल, साथ ही पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से थॉमस पिकेटी और अनमोल सोमांची द्वारा की गई है।
2022-23 में, देश की कुल आय का 22.6% हिस्सा केवल सबसे अमीर 1% लोगों के पास गया। यह 1922 के बाद से सबसे ज्यादा है। गौर करने वाली बात है कि 1922 से इस तरह के आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं। यह औपनिवेशिक काल के दौरान से भी अधिक है, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था।
राष्ट्रीय संपत्ति में 1% अमीरों का दबदबा लगातार बढ़ रहा
स्टडी बताती है कि भारत में धन असमानता बहुत अधिक है। 2023 में, देश की सबसे अमीर 1% आबादी के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 39.5% हिस्सा था, जबकि सबसे गरीब 50% आबादी के पास केवल 6.5% हिस्सा था। यह 1961 के बाद से सबसे अधिक असमानता है, जो दर्शाता है कि धन का अंतर बढ़ रहा है।
2022-23 के आंकड़ों से पता चलता है कि यह असमानता दुनिया भर में मौजूद है। दक्षिण अफ्रीका में, टॉप 1% के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 54.9% हिस्सा है, जो सबसे अधिक है। इसके बाद ब्राजील (48.7%) है। अन्य प्रमुख देशों में, टॉप 1% के पास राष्ट्रीय संपत्ति का हिस्सा इस प्रकार है:
राष्ट्रीय इनकम में भी 1% अमीर अन्य भारतीयों से कोसों आगे
भारत में, टॉप 1% लोगों के पास राष्ट्रीय आय का 22.6% हिस्सा है, जो दुनिया के अन्य प्रमुख देशों की तुलना में सबसे अधिक है। इसका मतलब है कि भारत में अमीर और गरीब के बीच की खाई सबसे ज्यादा है। अन्य देशों का हाल कुछ इस तरह है।
स्टडी में कहा गया है कि भारत में संपत्ति टैक्स सिस्टम प्रतिगामी है, जिसका अर्थ है कि अमीर लोग अपनी संपत्ति के अनुपात में कम टैक्स दे रहे हैं। स्टडी में यह भी कहा गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में बड़े निवेशों को फंड करने के लिए टैक्स शेड्यूल में बदलाव करके आय और धन दोनों को टैक्स योग्य बनाया जाना चाहिए, और भारतीय अरबपतियों और बहु-करोड़पतियों पर सुपर टैक्स लगाया जाना चाहिए।
स्टडी से पता चला है कि धन एक समूह के पास ज्यादा होना नीतिगत फैसलों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। जब कुछ लोगों के पास बहुत अधिक धन होता है, तो वे सरकार और समाज को अपने हित में प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। यह लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है।