संकट की घड़ी…फिर भी है कर्मचारियों की चिंता

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 8:45 AM IST

छत्तीसगढ़ की स्पंज आयरन कंपनी ‘सुनील गु्रप’ के सुनील नचरानी का कहना है कि मंदी की वजह से कारोबार पर असर तो पड़ा है,


लेकिन उन्हें मंदी से ज्यादा इस बात की चिंता सता रही है कि वे अपने कर्मचारियों को इस बार दीवाली पर बोनस नहीं दे पाए। नचरानी का कहना है कि उनके कर्मचारी मंदी के इस दौर में कंपनी का पूरा साथ दे रहे हैं।

मांग कम होने की वजह से कंपनी को अपने उत्पादन में करीब 40 फीसदी की कटौती करनी पड़ी है, बावजूद इसके नचरानी का कहना है कि एक भी कर्मचारियों की छंटनी नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि कंपनी में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 500 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

वित्त वर्ष 2007-08 में कंपनी ने 40 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था। वहीं इस साल कंपनी के खर्चे में 10 फीसदी की कटौती की गई है।नचरानी का कहना है कि उनकी कंपनी ही नहीं, बल्कि राज्य के करीब 127 मिनी स्टील प्लांट और करीब 100 स्पंज आयन संयंत्र मंदी से जूझ रही है, लेकिन अब तक एक भी कर्मचारी की छंटनी नहीं की गई है।

कुछ संयंत्रों की मरम्मत के लिए बंद तो किया गया है, लेकिन कंपनी के मालिक कर्मचारियों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। नचरानी ने 1990 में छोटे रोलिंग मिल से कारोबार की शुरुआत की थी, जिसे 2001 में मिनी स्टील प्लांट में तब्दील कर दिया। वर्ष 2004 में उन्होंने अपने कारोबार को और विस्तार दिया और स्पंज आयरन इकाई स्थापित की।

कंपनी का सालाना कारोबार 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और उत्पादन क्षमता 60,000 टन सालाना हो गई। हालांकि विस्तार के साथ-साथ नचरानी को कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। लेकिन मंदी की मार से उसे सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

नचरानी का कहना है कि यह वैश्विक मंदी है और इससे भारतीय कंपनियों पर भी असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि पिछले दो माह से स्टील और स्पंज आयरन कारोबारियों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। वैसे, नचरानी का कहना है कि यह दौर जल्द ही खत्म हो जाएगा और फिर से स्थिति काबू में आ जाएगी।

उनका कहना है कि सरकार भी स्टील निर्माताओं की मदद के लिए आगे आ रही है, जिससे लगता है कि संकट से कंपनियां बाहर निकल आएंगी।मंदी के इस दौर में द्वितीयक उत्पादकों ने कुछ कदम भी उठाए हैं।

इसी के तहत नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) की ओर से कच्चे माल की कीमतों में 40 फीसदी इजाफा करने के बाद कंपनियों ने इससे लौह-अयस्क की खरीदारी बंद कर दी है।

उल्लेखनीय है कि एनएमडीसी छोटे और स्थानीय उद्योगों की मांग की 50 फीसदी लौह-अयस्क की आपूर्ति करती है। उद्यमियों की मांग है कि एनएमडीसी अपनी कीमतों में कटौती करें।

नचरानी का कहना है कि द्वितीयक स्टील उत्पादकों को एक साथ मिलकर सरकार पर अपनी मांग के लिए दबाव डालना होगा। उनका कहना है कि बड़े उत्पादक करीब 3 करोड़ टन स्टील का उत्पादन करते हैं, जबकि छोटी कंपनियों का कुल उत्पादन भी करीब इतना ही है।

ऐसे में सरकार को बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटों का भी हित देखना होगा। दरअसल, बड़ी कंपनियां तो अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सरकार से कई तरह की सुविधाएं पा लेती हैं, लेकिन छोटी-मझोली कंपनियों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है।

मंदी की वजह से उत्पादन में 40 फीसदी की कटौती

सरकार से कच्चे माल की कीमतों में कटौती की मांग

मुनाफा और उत्पादन घटा, लेकिन छंटनी नहीं

First Published : December 11, 2008 | 11:30 PM IST