रुपया नए निचले स्तर पर पहुंच गया। डीलरों के मुताबिक डॉलर की मांग बढ़ने के कारण रुपया लगातार छठे सत्र में नए निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। महीने के अंत में आयातकों की मांग और अमेरिका की ट्रेजरी यील्ड से डॉलर की मांग बढ़ गई है।
मंगलवार को रुपया 85.20 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जबकि यह सोमवार को 85.12 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस कैलेंडर वर्ष में रुपये में 2.24 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। अभी तक दिसंबर में 0.73 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने डॉलर की बिक्री कर विदेशी मु्द्रा बाजार में हस्तक्षेप किया। इससे रुपया और गिरने से रुका था। लिहाजा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार छह माह के निचले स्तर पर पहुंच गया लेकिन रिजर्व बैंक के समय से हस्तक्षेप करने से मुद्रा की अतिरिक्त गिरावट थम गई।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘डॉलर सूचकांक 108 के पार चला गया और तेल आयातकों की ओर से महीने के अंत में मांग रही।’ उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक वहां था। वे वहां उपस्थित थे लेकिन एक विशिष्ट स्तर पर नहीं।’अमेरिका की 10 वर्षीय यील्ड सोमवार को बढ़कर 4.59 प्रतिशत हो गई और पूरे दिन स्थिर रही। इस दौरान डॉलर सूचकांक इस महीने 2 प्रतिशत बढ़कर 108.2 पर पहुंच गया।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘हम मार्च के अंत तक रुपये के 85.50 प्रति डॉलर का अनुमान लगा रहे थे लेकिन हम दिसंबर में ही 85.20 के स्तर पर पहुंच गए। रिजर्व बैंक ने नकदी कम करके और अल्पावधि तरीकों से हस्तक्षेप करने का प्रयास किया है।’ भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया आंकडो़ं के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में नकदी की कमी बढ़कर 2.43 लाख करोड़ रुपये हो गई और यह मौजूदा वर्ष में 21 मई के बाद उच्चतम स्तर है।
रुपये ने इस तिमाही में कई कारकों से महत्त्वपूर्ण दबाव झेला है। इन कारकों में सुस्त पूंजीगत आवक, बढ़ता व्यापार घाटा, गिरती आर्थिक वृद्धि की चिंताएं और सबसे नवीनतम फेडरल रिजर्व बैंक का बेंचमार्क ब्याज दरों पर आक्रामक रुख है। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती की है लेकिन बढ़ती महंगाई का संकेत देकर आक्रामक रुख को कायम रखा है।
केंद्रीय बैंक ने 2025 में ब्याज दरों में 50 आधार अंक की कटौती का अनुमान जताया। फिर 2026 में कटौती का अनुमान जताया गया है। वर्ष 2024 में ब्याज दर में 100 आधार अंक की कटौती की जा चुकी है। फेड के 2026 के मध्य तक दर समायोजन को रोकने की संभावना है। भविष्य के निर्णय 20 जनवरी को राष्ट्रपति ट्रंप के पद ग्रहण के बाद की आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करेंगे।