महंगाई दर सात प्रतिशत की ओर बढ़ रही है। महंगाई की मार से घबराई सरकार ने एहतियाती उपाय करने शुरू कर दिए हैं।
इस्पात, सीमेंट और गैर बासमती चावल सहित 40 उत्पादों के निर्यात से रियायतें समाप्त कर दी गई हैं। वित्त उपभोक्ता मसले और कृषि मंत्रालय को भरोसे में लेकर कार्रवाई करते हुए वाणिज्य मंत्रालय ने कर रिफंड स्कीम को समाप्त या अस्थाई रूप से रद्द कर दिया है। वाणिज्य सचिव जी के पिल्लै ने आज संवाददाताओं को बताया कि कुल 40 से 50 उत्पादों पर रियायतें समाप्त की गई हैं।
देश सीमेंट का आयात शून्य शुल्क पर कर रहा है जबकि एहतियाती उपाय के तहत निर्यात रियायतें फिलहाल बंद कर दी गई हैं।ये कदम इस्पात मंत्री रामविलास पासवान और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस मुलाकात के लगभग 15 दिनों के बाद उठाया गया जिसमें इन अयस्कों के निर्यात संबंधी डीईपीबी लाभ को अस्वीकृत कर दिया गया था। पासवान ने कहा था कि डीईपीबी के स्थगन से 593 करोड़ रुपये के बचत होने की संभावना है।
इसके स्थगन से निर्यात को थोड़ा झटका लगेगा। इस बीच मुद्रास्फीति की दर 11 महीने के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच कर 5.11 से 5.92 प्रतिशत हो गई है। रिजर्व बैंक महंगाई दर को 5 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा है।
इस्पात मंत्रालय के सचिव राघव शरण पांडे ने बताया कि इस निर्णय के बाद सरकार इस्पात अयस्क उत्पादकों, द्वितीयक इस्पात उत्पादकों और बड़ी इस्पात निर्माता कंपनियों से मुलाकात करने वाली है। अगली रणनीति मुलाकात के बाद तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस्पात और कच्चा माल खासकर लौह अयस्क और कोयले के दाम में बढ़ोतरी चिंता की वजह है। इस मामले में उद्योग और सरकार को कुछ अन्य एहतियाती कदम भी उठाने पड़ेंगे।
पांडे ने कहा कि डीईपीबी को हटाया जाना अस्थायी कदम है। इससे निर्यात कम होगा और घरेलू बाजार में इस्पात की उपलब्धता बढ़ेगी। उन्होंने इस्पात निर्माताओं की स्वत: स्फूर्त इस्पात निर्यात को कम करने के कदम की प्रशंसा की। उधर वाणिज्य सचिव पिल्लै ने कहा कि जहां तक स्टील का सवाल है, देश में जब इसकी कमी होती है तो कीमत चढ़ जाती है। ऐसे में निर्यात रियायत क्यों दी जाए।
उन्होंने संकेत किया कि निर्यात को हतोत्साहित करने के उपाय करने के अलावा सरकार आपूर्ति सुधारने और मुद्रास्फीति की दर को काबू करने के लिए और राजकोषीय उपायों पर विचार कर रही है। पिल्लै ने बताया कि मंत्रियों का एक उच्चाधिकार प्राप्त समूह दो अप्रैल को बैठक कर आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने के तौर तरीकों पर विचार करेगा।
पिल्लै ने कहा कि मंत्रीसमूह चावल गेहूं की कीमतों तथा खाद्य तेलों की खरीद पर विचार करेगा। सरकार ने पाम आयल की विभिन्न किस्मों पर आयात शुल्क पहले ही कम कर दिया है। सोया आयल पर शुल्क कटौती के बारे में मंत्रीसमूह विचार करेगा।
चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ा
सरकार ने गैर बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ाकर 1000 डॉलर प्रति टन कर दिया है। पहले यह 650 डालर प्रति टन था। घरेलू बाजार में अनाज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने यह पहल की है। विदेश व्यापार महानिदेशालय की अधिसूचना के मुताबिक गैर बासमती चावल का निर्यात तभी हो सकेगा जब न्यूनतम निर्यात मूल्य 1000 डॉलर होगा।
सरकार आज महंगाई से लड़ने के लिए जूझ रही है। इस लिहाज से इस तरह के कदम से कमोबेश मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने में मदद मिल सकती है। गैर-बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को भी 900 डॉलर से बढ़ाकर 1100 डॉलर कर दिया गया है। चावल की उपलब्धता और महंगाई पर नियंत्रण के लिए सरकार ने इसके आयात पर कर को भी शून्य करने का निर्णय लिया है।
गैर-बासमती चावल के दामों में पिछले साल की तुलना में वृद्धि हुई है। पिछले साल इसकी कीमत 13-14 रुपये प्रति किलो थी जबकि अब इसकी कीमत 18 रुपये प्रति किलो हो गई है। भारत ने 31.87 लाख टन गैर-बासमती का निर्यात किया है जिसकी कीमत 3,759.84 करोड़ रुपये थी। ये सारे आंकड़े चालू वित्तीय वर्ष के हैं।बासमती चावल का निर्यात इस वित्तीय वर्ष में 5,67,000 करोड़ रुपये का रहा। पिछले साल यह निर्यात 2,792.81 करोड़ रुपये का था।