भारतीय रिजर्व बैंक की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बुलेटिन में कहा गया है कि इस समय चल रहे वैश्विक व्यापार युद्ध का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर सीमित रहने की संभावना है, क्योंकि घरेलू वृद्धि के दो इंजन खपत और निवेश पर इस तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों का असर कम रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जनवरी के मध्य से केंद्रीय बैंक द्वारा नकदी को लेकर उठाए गए कदम से मुद्रा बाजार में अनुकूल स्थिति बनाए रखने में मदद मिली है। इससे दरों व स्प्रेड में नरमी के साथ नकदी की स्थिति में सुधार हुआ है। यह जमा प्रमाण पत्र (सीडी) और वाणिज्यिक पत्र और ट्रेजरी बिल में नरमी से भी स्पष्ट होता है।
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि 1 अप्रैल से बैंक ऋण के लिए जोखिम भार कम कर दिए जाने से एनबीएफसी को मिलने वाले धन में भी सुधार होगा। रिपोर्ट रिजर्व बैंक के कर्मचारियों द्वारा तैयार की गई है और यह केंद्रीय बैंक का विचार नहीं है। मजबूत वृहद आर्थिक ढांचे, महंगाई दर में गिरावट और मजबूत घरेलू वृद्धि इंजन के कारण वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की भारत की ताकत बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य से भारत की कुल मिलाकर वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है, क्योंकि विदेश में मांग कम रहेगी। लेकिन भारत के घरेलू वृद्धि इंजन जैसे खपत और निवेश बाहरी प्रतिकूल स्थितियों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होते हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 प्रतिशत ऋण-जीडीपी अनुपात और पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार से पता चलता है कि भारत पर विदेशी उतार-चढ़ाव का असर कम है।
11 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 677.8 अरब डॉलर था, जो 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है। भारत का सेवा निर्यात बेहतर बना हुआ है और विदेश से धन की आवक से चालू खाते के लिए बफर मुहैया कराती रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर वृहद आर्थिक परिदृश्य के कारण भारत तरजीही निवेश केंद्र बना हुआ है। इसमें कहा गया है, ‘तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ स्थिर वृहद आर्थिक परिदृश्य के कारण भारत तरजीही निवेश केंद्र बना हुआ है।’