विश्व बैंक ने अपनी हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 के संक्रमण का जोखिम कम किए बगैर पूरी तरह से कामकाज पटरी पर नहीं आ सकता, भले ही प्रतिबंधों में ढील दे दी जाए।
विश्व बैंक ने इसके लिए दो आंकड़ों का इस्तेमाल किया है- रोजाना बिजली की खपत और रात के समय बिजली की स्थिति, जिससे कि कोविड-19 और और इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों का अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले असर का आकलन किया जा सके।
बैंक के मुताबिक रात के वक्त बिजली की खपत अप्रैल में दो तिहाई से ज्यादा जिलों में घटी और औसत गिरावट 12 प्रतिशत से ज्यादा थी। स्थानीय संक्रमण की दर का भी रात के समय बिजली की खपत पर असर पड़ा है और जहां ज्यादा मामले आए हैं, गिरावट ज्यादा रही है। भारत के बारे में दी गई हाल की रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के हिसाब से इसका असर बहुत ज्यादा है।
बैंक ने कहा है, ‘कोविड-19 के संक्रमण के जोखिम को प्रभावी तरीके से कम करने की कवायदों के बगैर आवाजाही पर स्वैच्छिक रोक के चलते अर्थव्यवस्था के पूरी तरह से पटरी पर आने की संभानवा कम है, भले ही प्रतिबंधों में पूरी तरह से ढील दे दी जाए।’
मई और जून के आंकड़ों से पता चलता है कि मई और जून महीने में भी पहले के तीन सालों की तुलना में रात के समय बिजली की खपत कम रही है।
