भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि RBI नकदी प्रबंधन के लिये खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) की बिक्री कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कि केंद्रीय बैंक की नकदी प्रबंध प्रक्रिया के तहत घोषित वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (I-CRR) को चरणबद्ध तरीके से वापस लिया जा रहा है और यह सात अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर को शेष I-CRR फंड जारी होने के साथ सरकारी खर्च में बढ़ोतरी से आगामी त्योहारों के दौरान नकदी या तरलता की स्थिति सुगम होने की उम्मीद है।
दास ने कहा, ‘त्योहार के समय करेंसी की मांग में वृद्धि होगी। इससे यह निश्चित रूप से एक संतुलन बनाने वाला कदम है। यह एक घूमने वाली पिच है जहां हमें अपने ‘शॉट’ सावधानी से खेलने की जरूरत है।’
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द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, ‘आगे बढ़ते हुए हमें सजग रहने की जरूरत है। हमें मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप नकदी का प्रबंधन करने के लिए खुले बाजार में बॉन्ड की बिक्री (OMO-Open Market Operation) पर विचार करना पड़ सकता है।’ उन्होंने कहा कि इस तरह के परिचालन की अवधि और मात्रा नकदी की स्थिति पर निर्भर करेगी।
नकदी की स्थिति सख्त हुई है क्योंकि भारांश औसत कॉल दर (WACR) बढ़ी है। यह मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य है। ‘कॉल मनी’ दर वह दर है जिस पर मुद्रा बाजार में बुहत कम समय के लिए राशि उधार ली और दी जाती है।
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गवर्नर ने कहा कि अत्यधिक नकदी, मूल्य और वित्तीय स्थिरता दोनों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। ऐसे में अस्थायी उपाय के रूप में केंद्रीय बैंक ने 10 प्रतिशत का I-CRR लगाया था, जिसने बैंकिंग सिस्टम से लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये निकाले। यह कार्रवाई इसलिए की गई थी ताकि मौद्रिक नीति रुख के अनुरूप नकदी की स्थिति बने।
उन्होंने कहा कि I-CRR की आठ सितंबर को समीक्षा की गई और इसे चरणबद्ध तरीके से वापस लिया गया। सात अक्टूबर को यह समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में बैंकों ने फंड को एक दिन की स्थायी जमा सुविधा (SDF) के तहत रखने के बजाय 14 दिन के परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (VRRR) परिचालन के तहत पेश करने को प्राथमिकता दी है।
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गवर्नर ने कहा कि यह जरूरी हो जाता है कि बैंक अपनी वास्तविक नकदी की जरूरत का आकलन करें और उसी के अनुरूप मुख्य 14 दिन के VRRR ऑपरेशन में नीलामी के दौरान बोली लगाएं।