RBI Financial Stability Report 2025: भारत की वित्तीय प्रणाली (financial system) लगातार मजबूत बनी हुई है, जिसकी नींव बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) की मजबूत बैलेंस शीट्स पर टिकी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही। केंद्रीय बैंक ने अपनी द्विवार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में कहा कि बैंकों की मजबूती और लचीलापन मजबूत कैपिटल बफर, कई दशकों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा NPA अनुपात और मजबूत कमाई से समर्थित है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ज्यादातर बैंकों के पास मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट के परिदृश्यों के तहत पर्याप्त कैपिटल बफर मौजूद हैं। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) की स्थिति भी संतोषजनक बताई गई है। RBI ने कहा, “NBFCs यानी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भी अच्छी हालत में हैं। आरबीआई ने कहा कि NBFCs के पास भी अच्छा कैपिटल बफर है, उनकी कमाई मजबूत है और उनकी एसेट क्वालिटी भी सुधर रही है।”
भारत का बीमा सेक्टर भी नियामकीय मानकों को पूरा कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, “बीमा सेक्टर का समेकित सॉल्वेंसी अनुपात न्यूनतम निर्धारित सीमा से ऊपर बना हुआ है।” जिसका मतलब है कि बीमा कंपनियों के पास झटकों को झेलने के लिए पर्याप्त पूंजी है।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि म्युचुअल फंड्स और क्लियरिंग कॉरपोरेशंस की स्थिति भी स्थिर बनी हुई है। RBI ने कहा, “मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से यह पुष्टि हुई है कि अधिकांश बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल बफर मौजूद हैं, और म्युचुअल फंड्स व क्लियरिंग कॉरपोरेशंस भी लचीले और स्थिर बने हुए हैं।”
हालांकि भारत की घरेलू वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है, लेकिन वैश्विक वित्तीय माहौल अब भी अनिश्चितता से घिरा हुआ है। केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “उच्च स्तर की आर्थिक और व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितताएं वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली की मजबूती की परीक्षा ले रही हैं।”
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, “वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है, जिसकी मुख्य वजह नीतियों में बदलाव और भू-राजनीतिक माहौल है।”