भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई डिजिटल भुगतान व्यवस्था के विस्तार का प्रस्ताव किया। इसके तहत बैंकों से पूर्व स्वीकृत क्रेडिट लाइन से हस्तांतरण, को हस्तांतरण की इजाजत दी गई है। आरबीआई ने कहा, इससे ऐसी पेशकश की लागत घट सकती है और भारतीय बाजारों के लिए यूनिक प्रॉडक्ट्स विकसित करने में मदद मिल सकती है।
केंद्रीय बैंक ने इससे पहले रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की इजाजत दी थी, जो भारत के मुख्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर क्रेडिट के जरिये भुगतान में सक्षम बनाता है, जिसका मुख्य रूप से इस्तेमाल पे नाउ के लिए किया जाता है। कार्ड को लिंक करने की इजाजत से पहले यूपीआई लेनदेन का अनिवार्य तौर पर मतलब होता था प्रेषित करने वाले और लाभार्थी के चालू या बचत खाते से फंड का हस्तांतरण।
यूपीआई से जुड़ाव के बाद रुपे क्रेडिट कार्ड पर स्वीकृत सीमा का इस्तेमाल मर्चेंट को भुगतान में किया जा सकता है, जो ऐसे भुगतान स्वीकारने के लिए एक शुल्क का भुगतान करता है। इस सुविधा से क्रेडिट के स्रोत के साथ भुगतान का दायरा बढ़ा और आरबीआई की ताजा घोषणा से यूपीआई नेटवर्क में मजबूती आएगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, हाल में रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की इजाजत दी गई थी। यह यूपीआई को जमा खातों से जोड़ने की सहूलियत के अतिरिक्त थी। अब यूपीआई का दायरा बढ़ाकर बैंकों के पूर्व स्वीकृत क्रेडिट लाइन के परिचालन में इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा गया है। इस पहल से नवोन्मेष को बढ़ावा मिलेगा।
दास ने मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, यह पूर्व स्वीकृत क्रेडिट लाइन है। इसका मतलब यह है कि बैंक ने क्रेडिट लाइन स्वीकृत कर दी है और ग्राहक अब इसे यूपीआई के जरिए परिचालित कर सकते हैं।
एफआईएस के बैंकिंग प्रमुख (भारत) हरीश प्रसाद के मुताबिक, यूपीआई के जरिए पूर्व स्वीकृत क्रेडिट लाइन तक पहुंच की आरबीआई की घोषणा काफी बड़ा फैसला है, जिससे डिजिटल उधारी और बाय नाउ पे लेटर कारोबारों को मजबूती मिल सकती है।
उन्होंने कहा, क्रेडिट लाइन व लोन से प्रीपेड वॉलेट और कार्ड में वितरण पर लगी पाबंदी के चलते बाय नाउ पे लेटर से जुड़े प्रतिभागियों को अबाध खरीद के अनुभव जारी रखने की खातिर समस्याओं से निजात पाने के लिए अनिश्चितता की ओर बढ़ना पड़ा था।
यूपीआई चैनल के क्रेडिट लाइन तक पहुंच के लिए खुलने से पॉइंट ऑफ पर्चेज क्रेडिट को लेकर अनुभव में अब बाधा नहीं रह गई है और यह काफी बड़े मर्चेंट आधार में क्रेडिट के इस्तेमाल का रास्ता भी खोलता है। इसके जरिये बाय नाउ पे लेटर वाले उधारी क्षेत्र में काफी बढ़त की संभावना है।