जय किसान के मंत्र से जीडीपी में हुआ चमत्कार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:45 AM IST

महंगाई के जख्म से परेशान सरकार के लिए उम्मीद से ज्यादा रही जीडीपी शुक्रवार को मरहम बनकर आई।


सरकार ने 2007-08 के लिए आर्थिक विकास दर 8.7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था, जबकि यह आंकड़ा 9 फीसदी पर पहुंच गया। हालांकि पूर्व वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 9.6 प्रतिशत था।

खास बात यह है कि कृषि क्षेत्र ने उल्लेखनीय योगदान किया है, जबकि विनिर्माण क्षेत्र का परिणाम उत्साहजनक नहीं रहा। सरकार ने जीडीपी के संशोधित आंकड़े जारी करते हुए बताया कि कृषि और उससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में 4.5 फीसदी की वृध्दि दर्ज की गई, जबकि अनुमान 2.6 फीसदी का ही था। हालांकि विनिर्माण क्षेत्र की वृध्दि दर गिरकर 8.8 प्रतिशत रह गई, जो पहले 9.4 प्रतिशत थी।

चौथी तिमाही में आर्थिक विकास दर की बात करें, तो इसमें थोड़ी गिरावट देखी गई और यह 8.8 प्रतिशत रह गई, जबकि पूर्व वर्ष की समान तिमाही में यह 9.7 प्रतिशत थी। यह गिरावट मुख्य रूप से विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण आई। चौथी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र की वृध्दि दर गिरकर 5.8 प्रतिशत रह गई, जो जनवरी-मार्च 2007 में 12.8 प्रतिशत थी।

वर्ष 2007-08 के दौरान जीडीपी विकास दर की राह में परिवहन, संचार, गैस, बिजली और जलापूर्ति क्षेत्रों ने बाधा डाली। परिवहन, संचार, व्यापार और होटल क्षेत्र की वृध्दि दर गिरकर 12 फीसदी पहुंच गई, जबकि पहले यह 12.1 प्रतिशत थी। बिजली और गैस आपूर्ति खंड की वृध्दि दर गिरकर 6.3 प्रतिशत रह गई, जबकि सरकार ने इसके 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। बीमा, रीयल एस्टेट और वित्तीय सेवा क्षेत्र में भी 11.8 फीसदी की मामूली वृध्दि दर्ज की गई।

‘एफएम’ पर खुशी और गम की धुन


जीडीपी से खुश चिदंबरम ने छेड़ा तराना…

आज का दिन उत्साहवर्धक है। मैं किसानों, उद्योग और सेवा क्षेत्र का आभारी हूं कि उन्होंने विकास दर को 9 प्रतिशत तक पहुंचाने में योगदान किया।
खुशी है कि संप्रग सरकार के चार सालों के दौरान जीडीपी की औसत वृद्धि दर 8.9 फीसदी रही है।
विनिर्माण क्षेत्र में मंदी को दूर करने के लिए सुधारात्मक उपाय किए जाएंगे।
देश में खुली अर्थव्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था और खुला समाज होना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो हम संकट की स्थिति में आ जाएंगे।

…मगर महंगाई के गम पर पुराना राग

महंगाई दर 8.1 फीसदी पर पहुंचना चिंता का विषय है। हम इसे नीचे लाने के लिए भरसक प्रयास करेंगे।
मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के कारण भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है।
सीमेंट निर्माता अभी भी कीमतें घटा सकते हैं।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में किसी भी तरह की वृध्दि देश की मुद्रास्फीति की दर ककी रफ्तार को और तेज ही करेगी।
मुद्रास्फीति की दर में नरमी आना कच्चे तेल और कमोडिटी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करता है।

एक भारतीय की आय अब हुई 30,000 रुपये सालाना से ज्यादा

भारत में प्रति व्यक्ति आय पहली बार 30,000 रुपये के स्तर को पार कर 2007-08 में 32,299 रुपये सालाना हो गई। यह बढ़ोतरी भारतीयों की बढ़ती क्रय शक्ति को दर्शाता है। सरकार द्वारा जारी संशोधित आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा कीमतों के आधार पर प्रति व्यक्ति आय 12.3 प्रतिशत बढ़कर 32,299 रुपये हो गई है, जो पहले 29,642 रुपये थी।

कृषि ने दिया विकास दर को सहारा

2007-08 में आर्थिक विकास दर 9 फीसदी पहुंची, जबकि अनुमान था 8.7 फीसदी का

किसमें कितनी वृद्धि

कृषि क्षेत्र  – 4.5 फीसदी
विनिर्माण क्षेत्र –  8.8 फीसदी
परिवहन, संचार, होटल –  12 फीसदी
बिजली-गैस – 6.3 फीसदी
बीमा, बैंकिंग – 11.8 फीसदी

First Published : May 30, 2008 | 11:42 PM IST