वृद्धि की राह पर विनिर्माण क्षेत्र

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:43 AM IST

कोरोनावायरस महामारी और उसे रोकने के लिए की गई देशबंदी के दौरान  4 महीने के संकुचन के बाद अगस्त महीने में विनिर्माण गतिविधियों ने गति पकड़ी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत के भारी संकुचन के आधिकारिक आंकड़े आने के एक दिन बाद आए इन आंकड़ों ने नीति निर्माताओं को कुछ राहत दी है।
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के मंगलवार को जारी मासिक आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में विनिर्माण पीएमआई 52 पर रहा, जो जुलाई के 46 से ज्यादा है। 50 से ऊपर पीएमआई कारोबार में विस्तार जबकि इससे कम संकुचन दिखाता है। अप्रैल में पीएमआई 27.4 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर था, लेकिन उसके बाद धीरे धीरे चढ़ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि विमिर्माण वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में 39.3 प्रतिशत संकुचित हुआ है। जुलाई तक लगातार ऐसे ही आंकड़े पीएमआई के भी आए थे। फरवरी के बाद से आउटपुट और नए ऑर्डर में बढ़ोतरी हुई है। उत्पादन में बढ़ोतरी मुख्य रूप से ग्राहकों की ज्यादा मांग और कारोबारी परिचालन बहाल होने से जुड़ी हुई है। बहलहाल विदेशी निर्यात में गिरावट का असर कुल मिलाकर नए ऑर्डर पर पड़ा है क्योंकि फमों को विदेश से सुस्त मांग आ रही है। कुल मिलाकर फरवरी के बाद से भारत के विनिर्माताओं का कारोबार बढ़ा है, क्योंकि नया काम आने लगा है।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, ‘अगस्त के आंकड़ोंं से भारत के विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं, जिससे दूसरी तिमाही में रिकवरी के संकेत मिलते हैं। घरेलू बाजार में मांग बढऩे से उत्पादन और इनपुट खरीद में तेजी आएगी।’ बहरहाल पटेल ने कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए व्यवधान  की चेतावनी दी है, जिससे आने वाले महीनों में वृद्धि को लेकर उतार चढ़ाव हो सकता है।
क्षमता को लेकर दबाव के संकेतों के बीच नौकरियों में कमी जारी है। फर्मों को उचित कामगार पाने में दिक्कत हो रही है। अप्रैल में की गई देशव्यापी बंदी के साथ निर्यात ऑर्डर गिरने से सभी क्षेत्रों में स्थिति खराब हुई है और नए कारोबार रिकॉर्ड स्तर पर गिरे हैं। उसके बाद से नौकरियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई हैं और जुलाई में रोजगार के आंकड़़े और गिरे हैं।
वहीं विनिर्माताओं का आरोप है कि अगस्त में महामारी के प्रसार के साथ कर्मचारियों को दूसरी जगह भेजना पड़ा, जिससे कर्मचारियों की संख्या कम हो सके। सर्वे से पता चलता है कि जुलाई की तुलना में कार्यबल में संकुचन कम हुआ है, लेकिन अभी कुल मिलाकर मजबूती बनी हुई है। अगस्त के दौरान खरीद की मात्रा में सुधार और उच्च उत्पादन का समर्थन मिला है।
बहरहाल फर्मों ने पाया कि वस्तुओं की सीमित उपलब्धता है, जिसकी वजह से खरीदारों का स्टॉक आगे और कम होगा। आपूर्तिकर्ताओं की कमी  और कोविड महामारी के कारण ढुलाई में देरी के कारण कच्चे माल की लागत बढ़ी है, जिसकी वजह से अगस्त में इनपुट लागत बढ़ी है। मार्च के बाद से पहली बार लागत का बोझ बढ़ा है और इसकी वजह से इनपुट नवंबर 2018 के बाद सबसे महंगे स्तर पर पहुंच गया है।

First Published : September 2, 2020 | 12:11 AM IST