ई-कचरा के लिए जारी दिशानिर्देशों से उद्योग जगत खुश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:43 PM IST

अब इस बात की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है कि 2012 तक इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरे का उत्पादन करीब 8,00,000 टन हो जाएगा।


यह वर्तमान के मोबाइल, टेलीविजनों, कंप्यूटरों, आदि के कचरे का करीब चार गुना है। सरकार ने विनिर्माताओं को स्वतंत्र छोड़ दिया है, जिससे उद्योग जगत खुद इस पर विचार करे कि इसका सुरक्षित निस्तारण कैसे किया जाए। हाल ही में ई-कचरे के निस्तारण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी दिशानिर्देशों में कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निस्तारण के लिए किसकी जवाबदेही होगी।


इस कचरे से वायु, मिट्टी और जल, तीनों प्रदूषित होते हैं।इन दिशानिर्देशों में दो बातें सामने आईं है। पहली- ई कचरे को हानिकारक कचरे के रूप में जाना जाएगा। दूसरी- सरकार इसके लिए कानून बनाएगी, जिससे उत्पादकों को इसके लिए जवाबदेह बनाया जा सके, और उत्पाद के पूरे जीवनचक्र के लिए कंपनी को जवाबदेह बनाया जा सके।बहरहाल इस नए दिशानिर्देश से ई-कचरा को लेकर उद्योग जगत अपनी जवाबदेही से मुक्त हो गया है, जिससे उनमें खुशी का माहौल है।


इसमें पर्यावरण के मुद्दे को लावारिस छोड़ दिया गया है। सूचना तकनीक के विनिर्माता एसोशिएसन (एमएआईटी) के निदेशक विन्नी मेहता का कहना है कि उद्योग जगत इन नियमों से खुश है। ‘इन दिशानिर्देशों में पर्यावरण को गंभीरता से लिया गया है और उद्योग जगत ने इसे सकारात्मक ढंग से लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि यह उद्योगों की स्वेच्छा पर छोड़ा गया है, हम उम्मीद करते हैं कि भारत का आईटी उद्योग इन दिशानिर्देशों के मुताबिक आगे आएगा।


खासकर ईपीआर और खतरनाक पदार्थों की दिशा में विचार करेगा।’ दूसरी ओर ई कचरे पर काम करने वाले एक एनजीओ के प्रवक्ता ने  बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने जो दिशानिर्देश जारी किया है वह बहस पत्र के रूप में है।’ उन्होंने कहा कि दिशानिर्देशों में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है, जिससे खतरनाक ई-कचरे के सुरक्षित निस्तारण की बात हो।अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ग्रीनपीस का कहना है कि दिशानिर्देशों में प्रमुख मुद्दों को नहीं छुआ गया है।


इसमें इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा गया है कि पश्चिमी देशों का ई-कचरे का निस्तारण कैसे किया जाए, जो भारत के कुल ई-कचरे का करीब आधा है। बहरहाल ई-कचरे को भी सामान्य कचरे के रूप में ही देखा गया है। जबकि ई-कचरा कार्सिनोजेनिक का प्रमुख कारक है, जिससे कैंसर होता है। इससे वातावरण में खतरनाक गैसें भी फैलती हैं।

First Published : April 16, 2008 | 10:51 PM IST